स्कूलों में पढ़ाने के लिए तैयार होगी स्वयंसेवकों की टीम, केंद्र ने राज्यों को अमल के दिए निर्देश
स्कूलों में बच्चों को अच्छी शिक्षा मिले इसकी जिम्मेदारी समाज की भी होगी। केंद्र सरकार ने एक नई पहल शुरु की है। जिसमें ऐसे लोगों की मदद ली जाएगी जो सेवानिवृत्ति के बाद या फिर नौकरी और पढ़ाई करते हुए भी नई पीढ़ी को संवारने में सहयोग देना चाहते हैं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। आपके आस-पास के स्कूलों में बच्चों को अच्छी शिक्षा मिले इसकी जिम्मेदारी समाज की भी होगी। केंद्र सरकार ने इसे लेकर एक नई पहल शुरु की है। जिसमें ऐसे लोगों की मदद ली जाएगी, जो सेवानिवृत्ति के बाद या फिर नौकरी और पढ़ाई करते हुए भी कुछ समय निकालकर नई पीढ़ी को संवारने में सहयोग देना चाहते हैं। फिलहाल शिक्षा मंत्रालय ने सभी राज्यों और संघ शासित प्रदेशों से स्वैच्छिक रूप से निशुल्क सहयोग देने वाले स्वयंसेवकों (वालंटियर्स) को तैयार करने और जल्द से जल्द इसे लेकर एक विस्तृत योजना तैयार करने को कहा है।
पहले जिला स्तर पर और बाद में स्कूल स्तर पर स्वयंसेवकों की टीम तैयार करने का दिया सुझाव
स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने में जुटे मंत्रालय का इस दौरान फोकस समाज के ऐसे लोगों को लेकर है, जो बच्चों के भविष्य को संवारने और देश की प्रगति में हाथ बंटाना चाहते है, लेकिन अब तक इन्हें सम्मानजनक तरीके से जोड़ने की कोई व्यवस्था नहीं थी। दूसरी ओर देश में बड़ी संख्या में ऐसे स्कूल भी है, जहां न तो विशेषज्ञ शिक्षक है न ही ऐसे प्रेरक लोग हैं, जो बच्चों की प्रतिभा को नई दिशा दे सके। हालांकि इसके तहत प्रत्येक जिलों में ऐसे स्वयंसेवकों की एक टीम तैयार करने की योजना है। बाद में इसे और विस्तार देते हुए सभी स्कूल स्तर पर भी ऐसी टीम खड़ी करने की योजना है।
टीम में प्रमुखता से सेवानिवृत्त शिक्षक, वैज्ञानिक, पूर्व सैनिक आदि शामिल करने की सलाह
माना जा रहा है कि इससे स्कूलों में एक नया निगरानी तंत्र खड़ा हो जाएगा। जो स्कूलों की बेहतरी के लिए काम करेगा। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के अमल में जुटे केंद्र ने राज्यों से इसके तहत सेवानिवृत्त शिक्षकों, वैज्ञानिकों, सैन्यकर्मियों, डाक्टर और बैंकिंग आदि क्षेत्रों से जुड़े लोगों को शामिल करने का सुझाव दिया है। इसके साथ ही इस पहल से ऐसे लोग भी जुड़ सकते है, जो पढ़ाई, शोध और नौकरी के साथ समय निकालकर बच्चों की पढ़ाई में मदद देने चाहते है। योजना को इस साल तैयार करने का लक्ष्य दिया गया है।
गौरतलब है कि स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता को मजूबती देने के लिए इस पहल की शुरूआत राष्ट्रीय स्तर पर शुरू की गई विद्यांजलि योजना को मिल रही सफलता के बाद की गई है। जिसमें अब तक 35 हजार से ज्यादा लोग मदद देने के लिए आगे आए है।