तमिलनाडु के इरोड में जंगली हाथी का तांडव, मक्का व्यापारी की कुचलने से हुई मौत
Tamil Nadu तमिलनाडु के इरोड में एक मक्का व्यापारी की हाथी के कुचलने के बाद मौत हो गई। जानकारी के अनुसार मक्का व्यापारी अपने दोस्त के साथ मोटरसाइकल पर मक्का बेचने के लिए आसपास के इलाके में गया था।
इरोड, एजेंसी। तमिलनाडु के इरोड में एक मक्का व्यापारी की हाथी के कुचलने के बाद मौत हो गई। जानकारी के अनुसार, मक्का व्यापारी अपने दोस्त के साथ मोटरसाइकल पर मक्का बेचने के लिए आसपास के इलाके में गया था।
हाथी के हमले में मक्का व्यापारी की मौत
पुलिस ने सोमवार को बताया कि एक मक्का व्यापारी की जंगली हाथी द्वारा कुचले जाने के कारण मौत हो गई। वह व्यक्ति सत्यमंगलम बाघ अभयारण्य से अपनी मोटरसाइकल पर सवार होकर निकला था। इस दौरान उसका दोस्त भी मृतक के साथ था। जब वे अभ्यारण्य के गुठियालाथुर कप्पूकाड़ू इलाके की मुख्य सड़क पर थे, तभी एक हाथी झाड़ियों से बाहर आया और दोनों पर हमला कर दिया। इस हमले में मक्का व्यापारी की मौत हो गई।
हाथी के हमले में बाल-बाल बचा मृतक का साथी
वन कर्मियों के मुताबिक, इरोड जिले के कादांबुर गांव निवासी 47 वर्षीय पालानीसामी अक्सर आसपास के इलाकों में अपनी बाइक से मक्का बेचने जाया करते थे। रविवार रात को वे अपने दोस्त के साथ फसल बेचने के लिए विभिन्न गांवों में गया था। इसी दौरान जब वे वहां से वापस लौट रहा था। तभी जंगली हाथी ने उस पर हमला किया। बता दें कि हाथी ने पालानीसामी को कुचल दिया, जिससे उन्हें गंभीर चोटें आई और उसकी मौत हो गई। हालांकि मक्का व्यापारी का साथी हाथी के हमले में बाल-बाल बच गया।
डॉक्टरों ने किया मृत घोषित
बता दें कि मृतक के साथी ने घटना की जानकारी स्थानीय ग्रामीणों को दी। जिसके बाद ग्रामीण कुछ वनकर्मियों के साथ मौके पर पहुंचे और उसे अस्पताल में भर्ती कराया। हालांकि, डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। वहीं, कादांबुर पुलिस ने मामला दर्ज कर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है।
हर साल सामने आते हैं सैकड़ों मामले
बता दें कि पूरे देशभर से जंगली हाथियों के उत्पात की खबरें सामने आती रहती हैं। कुछ इलाकों में हाथी पूरी की पूरी फसल नष्ट कर देते हैं। जिससे स्थानीय निवासियों की संपत्ती को भारी नुकसान पहुंचता है। गौरतलब है कि साल 2019-20 में देशभर में 117 लोग हाथियों द्वारा कुचले जाने के कारण मारे गए थे। इसी तरह 2020-21 में यह आंकड़ा 93 था। यदि इस साल की बात करें तो 112 ऐसी मौतें दर्ज की जा चुकी हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक जंगलों का कम होना और मानव द्वारा हाथियों के इलाकों में अनावश्यक प्रवेश करने के कारण ऐसे मामलों लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है।