तमाडि़या समुदाय नहीं है आदिवासी : केंद्र
गौरतलब है कि झारखंड की ओर से 2008 में ही केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा गया था कि तमाडि़या समुदाय को मुंडा जनजाति की तरह सूची में स्थान दिया जाए।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। झारखंड के तमाडि़या समुदाय को जनजाति में शामिल करने की झारखंड सरकार की कवायद को केंद्र सरकार ने खारिज कर दिया है। जाहिर है कि राज्य की राजनीति में भी इसका असर दिख सकता है। खुद भाजपा और दूसरे दलों के कुछ नेताओं के लिए यह झटका भी हो सकता है।
गौरतलब है कि झारखंड की ओर से 2008 में ही केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा गया था कि तमाडि़या समुदाय को मुंडा जनजाति की तरह सूची में स्थान दिया जाए। वर्ष 2008 से 2014 तक केंद्र और राज्य सरकार के बीच कई बार पत्रों का आदान प्रदान हुआ। केंद्रीय आदिवासी कल्याण मंत्रालय ने रजिस्ट्रार जनरल की राय ली और यह स्पष्ट कर दिया गया कि तमाडि़या को आदिवासी सूची में शामिल नहीं किया जा सकता है।
2008 से चल रही कवायद पर दिसंबर 2016 में आखिरी फैसला सुना दिया गया। इसके अनुसार रजिस्ट्रार जनरल ने लोकूर कका हवाला देते हुए कहा कि जनजाति में शामिल करने के लिए कुछ शर्ते तय हैं और तमाडि़या समुदाय उसमें फिट नहीं बैठता है। रजिस्ट्रार जनरल ने बिहार से झारखंड अलग होते वक्त की सूची का भी जिक्र किया और कहा कि तमाडि़या समुदाय ओबीसी में शामिल है। अगर लोकूर समिति के लिहाज से आज के दिन तमाडि़या समुदाय पर चर्चा की जाए तो वह आदिवासी की बजाय हिंदू संस्कृति के ज्यादा नजदीक है। उनकी पूजा पद्धति और कुछ परंपराएं हिंदू के ज्यादा नजदीक है। ऐसे मे उसे आदिवासी नहीं माना जा सकता है।