ताज मामले में सुप्रीम कोर्ट की यूपी सरकार को फटकार, विजन डाक्यूमेंट पर उठाए सवाल
कोर्ट ने ताजमहल के रखरखाव के लिए सरकार द्वारा नियुक्त एक्सपर्ट पैनल को एक महीने में विजन डाक्यूमेंट देने का निर्देश दिया।
नई दिल्ली (पीटीआइ/एएनआइ)। ताजमहल संरक्षण मामले पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार पर कई सवाल उठाए। कोर्ट ने ताजमहल के रखरखाव के लिए सरकार द्वारा नियुक्त एक्सपर्ट पैनल को एक महीने में विजन डाक्यूमेंट देने का निर्देश दिया। साथ ही, सवाल उठाए कि अगर सरकार के पास ताज संरक्षित क्षेत्र (टीटीजेड) में इंडस्ट्रीज की संख्या सही नहीं है, तो इसका मतलब है कि उसका ड्राफ्ट विजन डाक्यूमेंट ही गलत है। कोर्ट ने कहा कि अभी तक सरकार को ये ही नहीं पता है कि इस क्षेत्र में इंडस्ट्री कितनी चल रही हैं।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणी उस वक्त की जब सरकार द्वारा ताजमहल के सरंक्षण के लिए बनाए गए एक्सपर्ट पैनल की सदस्य प्रोफेसर मीनाक्षी दोहते ने कोर्ट को बताया कि पहले राज्य सरकार ने उन्हें इलाके की इंडस्ट्री की लिस्ट दी थी, लेकिन बाद में कहा कि उसमें बदलाव किया जाएगा क्योंकि वो लिस्ट सही नहीं है। जिसपर नाराजगी जाहिर करते हुए कोर्ट ने यूपी सरकार पर कई सवाल उठाए।
कोर्ट ने कहा कि सरकार की लिस्ट के मुताबिक 1996 में इलाके में 511 इंडस्ट्री थीं। अब ये बढ़कर 1167 हो गई हैं। इनमें से कितनी चल रही हैं, ये सरकार को पता ही नहीं है। बता दें कि जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता की अध्यक्षता वाली पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले की सुनवाई 25 सितंबर को करेगा। इस बीच कोर्ट ने कमिटी से ताजमहल के पास स्थित उद्योग, हरित क्षेत्र, यमुना के प्रदूषण समेत सभी पहलुओं पर गौर कर रिपोर्ट तैयार करने को कहा है।