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Republic Day: राजपथ पर नहीं दिखेगी बंगाल और महाराष्ट्र की झांकी, जानिए इसको लेकर क्यों मचा है बवाल

2020 की झांकी के लिए 32 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों समेत मंत्रालयों व विभागों से कुल 56 प्रस्ताव भेजे गए थे। पांच बैठकों की जांच-पड़ताल के बाद उनमें से 22 का चयन किया गया है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Sat, 04 Jan 2020 09:33 PM (IST)Updated: Sun, 05 Jan 2020 12:31 AM (IST)
Republic Day: राजपथ पर नहीं दिखेगी बंगाल और महाराष्ट्र की झांकी, जानिए इसको लेकर क्यों मचा है बवाल

नई दिल्ली, [जागरण स्पेशल]। गणतंत्र दिवस पर देश की आन-बान और शान झलकती है। सैन्य शक्ति के साथ ही कला-संस्कृति की झांकियां देशवासियों का सीना बुलंद करती हैं। इनमें राज्यों की झांकियां भी शामिल होती हैं जो देश की विविधता में एकता की परिचायक होती हैं। इस बार पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र की झांकी राजपथ पर नहीं दिखेगी। इसको लेकर विवाद मचा हुआ है। हालांकि कई अन्य राज्यों की झांकियों को भी अनुमति नहीं मिली है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर झांकी कैसे राजपथ के लिए चुनी जाती हैं। कौन उनका चयन करता है। उसकी प्रक्रिया क्या है।

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रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी 

गणतंत्र दिवस समारोह के परेड और झांकियों की जिम्मेदारी रक्षा मंत्रालय की होती है। वही तैयारी, सुरक्षा, परेड और झांकी की व्यवस्था देखती है। दरअसल इस दिन राष्ट्रपति तिरंगा फहराते हैं। वे तीनों सेनाओं के प्रमुख होते हैं। 

समिति करती है मूल्यांकन

झांकियों के लिए मिले प्रस्तावों का मूल्यांकन करने के लिए विशेषज्ञों की समिति होती है। समिति में कला, संस्कृति, चित्रकला, मूर्तिकला, संगीत, वास्तुकला आदि के प्रतिष्ठित विशेषज्ञ होते हैं। यह समिति विषय, अवधारणा समेत अन्य पहलुओं की जांच करती है। प्रस्तावकों की ओर से अपनी झांकी की डिजायन के तीन मॉडल पेश किए जाते हैं। उनमें से एक का चयन समिति करती है। 

इस वर्ष 56 झांकियों के भेजे गए थे प्रस्ताव

2020 की झांकी के लिए 32 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों समेत मंत्रालयों व विभागों से कुल 56 प्रस्ताव भेजे गए थे। पांच बैठकों की जांच-पड़ताल के बाद उनमें से 22 का चयन किया गया है। इनमें 16 राज्यों के व छह मंत्रालयों व विभागों के हैं। मंत्रालय का कहना है कि समय सीमा को देखते हुए सीमित संख्या में झांकियां चुनी गई हैं।  

छह माह पहले राज्यों से मांगे जाते हैं प्रस्ताव

रक्षा मंत्रालय की वेबसाइट के मुताबिक झांकी के चयन के लिए एक स्थापित प्रणाली है। इसके अनुसार गणतंत्र दिवस से करीब छह महीने पहले सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों, मंत्रालयों और विभागों से प्रस्ताव मांगे जाते हैं।

बंगाल ने तीन थीमों पर पेश किया था प्रस्ताव 

पश्चिम बंगाल सरकार ने कन्याश्री, जल धरो जल भरो और सबूज साथी थीम के तीन प्रस्ताव पेश किए थे। कन्याश्री योजना छात्राओं के लिए है। सबूज साथी में नौवीं से 12वीं तक की छात्राओं को साइकिल दी जाती है। वहीं जल धरो जल भरो में वर्षा जल संचयन की योजना शामिल है।

तीन बार पहले भी अस्वीकृत हो चुकी है बंगाल की झांकी

रक्षा मंत्रालय का कहना है कि पश्चिम बंगाल से आए प्रस्ताव की विशेषज्ञ समिति ने दो दौर की बैठक के बाद आगे नहीं ले जाने का फैसला किया। गौरतलब है कि 2019 में भी गणतंत्र दिवस परेड में इसी प्रक्रिया के तहत पश्चिम बंगाल की झांकी चुनी गई थी। इसके पहले वर्ष 2015, 17 और 18 में भी पश्चिम बंगाल का प्रस्ताव खारिज हो गया था। 

राजपथ पर नहीं हुई थी पहली परेड

1950 में गणतंत्र होने के बाद देश की पहली परेड राजपथ पर नहीं निकली थी। सन 1954 तक नेशनल स्टेडियमर्, किंग्सवे, रामलीला मैदान और लालकिला में परेड हुई। इसके अगले वर्ष से राजपथ् पर परेड शुरू की गई।


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