Monkeypox Symptoms: समय के साथ बदल रहे हैं मंकीपाक्स के लक्षण, जानें- कैसे फैल रहा वायरस, क्या है बचाव के उपाय
Monkeypox Symptoms and Treatment विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने शनिवार को मंकीपाक्स को वैश्विक स्वास्थ्य आपात स्थिति घोषित कर दिया। संगठन ने सभी देशों से समलैंगिक समुदाय के साथ मिलकर काम करने और प्रभावित समुदायों के स्वास्थ्य मानवाधिकारों और गरिमा की रक्षा के लिए उपाय करने का आह्वान किया।
नई दिल्ली, जेएनएन। देश की राजधानी दिल्ली में मंकीपॉक्स का पहला मामला सामने आया है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने दिल्ली में पहला रोगी मिलने की पुष्टि की है। 31 वर्षीय व्यक्ति का कोई यात्रा इतिहास नहीं है, जिसे बुखार और त्वचा के घावों के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था। भारत में इस बीमारी का यह चौथा मामला है। कोरोना महामारी से अभी पूरी दुनिया उबर नहीं पाई थी कि मंकीपाक्स नाम के वायरस ने दुनिया को अपने चपेट में लेना शुरु कर दिया है। एक समय केवल अफ्रीकी देशों तक सीमित रहा यह वायरस अब भारत सहित 70 से अधिक देशों में फैल चुका है। भारत में अब तक तीन मामलों की पुष्टि हुई है। जानकारों के मुताबिक समय के साथ इसके लक्षणों में भी काफी बदलाव देखे जा रहे है।
शरीर पर घाव भी हो सकते हैं मंकीपाक्स के लक्षण
मंकीपाक्स के मुख्य लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, पीठदर्द और थकावट माने जाते हैं लेकिन लंदन के क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने मंकीपाक्स के लक्षणों को लेकर अहम जानकारी दी है। शोधकर्ताओं ने जननांग, मुंह पर घावों को मंकीपाक्स वायरस के लक्षणों के रूप में पहचाना है। विशेषज्ञों के अनुसार मंकीपाक्स के कुछ पीड़ितों में पहले यही समस्या देखी गई थी।
मंकीपाक्स के विनाशकारी होने की आशंका कम
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मंकीपाक्स को ग्लोबल इमरजेंसी घोषित किया है, लेकिन राहत की बात यह है कि मंकीपाक्स के कोरोना महामारी की तरह विनाशकारी होने की आशंका न के बराबर है। विशेषज्ञों ने मौजूदा स्थितियों को देखते हुए आंकलन किया है कि मंकीपाक्स फिलहाल महामारी कहे जाने से बहुत दूर है। अगर यह वायरस महामारी बनकर पूरी दुनिया में फैल भी जाता है, तब भी इस बात की आशंका बहुत कम है कि यह वैश्विक स्वास्थ्य के लिए तबाही बनेगा।
शारीरिक संपर्क से फैल रहा वायरस
शोधकर्ताओं के अनुसार शारीरिक निकटता मंकीपाक्स को फैलाने में कारगर है। इसके अलवा छींकने, खांसने और संक्रमिक के कपड़ों को पहने से भी वायरस फैल सकता है। बंदर, चूहा, गिलहरी जैसे कुछ जानवर भी यह वायरस फैला रहे हैं।
मंकीपाक्स से बचने के उपाय
मंकीपाक्स का फिलहाल कोई इलाज नहीं है, लेकिन चेचक का टीका मंकीपाक्स के लिए भी 85 प्रतिशत असरदार साबित हुआ है। हाथों को बार-बार धोकर, लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क कर, इसे फैलाने वाले जानवरों से दूरी बनाकर इसके संक्रमण से बचा जा सकता है।