डिमेंशिया के खतरे का पहले से लगेगा पता, किचन में रखी चीजें ही बनेंगी इलाज का जरिया
वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर साइरस ए राजी ने कहा कि एमआरआइ स्कैन से डिमेंशिया के खतरे का औसतन 2.6 साल पहले अनुमान लगाया जा सकता है।’
नई दिल्ली, [प्रेट्र]। वैज्ञानिकों ने डिमेंशिया रोग के खतरे को सालों पहले भांपने का एक नया तरीका खोजा है। उन्होंने पाया कि मस्तिष्क के एमआरआइ स्कैन से यह अनुमान लगाने में मदद मिल सकती है कि किसी व्यक्ति में अगले तीन साल में इस बीमारी का खतरा है या नहीं। डिमेंशिया मानसिक बीमारी है। इसमें व्यक्ति की याददाश्त कमजोर हो जाती है।
अमेरिका की वाशिंगटन और कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के अनुसार, मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (एमआरआइ) से मस्तिष्क के स्कैन से डिमेंशिया का 89 फीसद सटीक पूर्वानुमान लगाया जा सकता है। इस खोज से आने वाले समय में डॉक्टर लक्षण दिखने से पहले ही लोगों को डिमेंशिया के खतरे के बारे में सचेत कर सकेंगे। वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर साइरस ए राजी ने कहा, ‘फिलहाल सामान्य या मामूली रूप से स्मृति में गिरावट का सामना कर रहे बुजुर्गो में डिमेंशिया के खतरे का अनुमान लगाना काफी कठिन काम है। हमारे अध्ययन से जाहिर होता है कि एमआरआइ स्कैन से डिमेंशिया के खतरे का औसतन 2.6 साल पहले अनुमान लगाया जा सकता है।’
क्या है डिमेंशिया
डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति की याददाशत कमजोर हो जाती है। वे अपने दैनिक कार्य ठीक से नहीं कर पाते। कभी-कभी वे यह भी भूल जाते हैं कि वे किस शहर में हैं, या कौन सा साल या महीना चल रहा है। साल दर साल डिमेंशिया से ग्रस्त व्यक्ति की स्थिति अधिक खराब होती जाती है, और बाद की अवस्था में उन्हें साधारण से साधारण काम में भी परेशानी होने लगती है। जैसे कि चल पाना, बात करना या खाना ठीक से चबाना और निगलना। उपचार से मरीज को लाभ हो सकता है, लेकिन उसे पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता।
जानें डिमेंशिया के बढ़ने के स्टेज
डिमेंशिया बीमारी दिमाग के कुछ खास सेल्स नष्ट होने से होती है। इन सेल्स के नष्ट होने से दिमाग के भीतर के अन्य सेल्स आपस में संचार नहीं कर पाते, जिससे सोचने की शक्ति कम होती है, व्यवहार और अनुभूतियों में दिक्कत आती है। डिमेंशिया की स्टेज है भूलना। ऐसे लोग अक्सर काम करने के बीच में ही भूल जाते हैं कि वे क्या कर रहे थे। चीजों को रखकर भूल जाते हैं, लोगों के नाम भूल जाते हैं, समय-तारीख और कहां जा रहे हैं, ये तक भूलने लगते हैं।
डिमेंशिया की स्टेज में लक्षण थोड़े गंभीर होने लगते हैं। पीड़ित व्यक्ति रोज के रास्तों में ही खो जाते हैं, बोलने में दिक्कत आनी आरंभ होती है। पहले जो काम करने में मजा आता था, उसका अब उतना अधिक आनन्द नहीं ले पाते। इनका व्यवहार भी बदलने लगता है। डिमेंशिया की स्टेज में ऐसी स्थिति भी आ जाती है, जब इससे पीड़ित व्यक्ति रोज के काम नहीं कर पाता। वह अपने परिवार के लोगों को नहीं पहचान पाता, कोई बात उसकी समझ में नहीं आती। उसे किसी की सहायता की जरूरत पड़ती है।
डिमेंशिया के खतरे से बचाते हैं ये आहार
अपने भोजन में गेंहूं का खासतौर पर समावेश करें। यह न सिर्फ कोशिकाओं के निर्माण में सहायक है, बल्कि सेहत के लिए भी काफी अच्छा होता है। इसके आलावा बादाम, काजू और अखरोट एंटीऑक्सीडेंट और जरूरी फैटी एसिड से भरपूर होते है।
मछली प्रोटीन और कैल्सियम से भरपूर होती है, जिससे मस्तिष्क का विकास होता है। खासकर सैमन और ट्यूना मछली खाना ज्यादा फायदेमंद रहता है। बिना चर्बी वाला बीफ आइरन, विटामिन बी12 और जिंक का अच्छा स्रोत होता है। यह याददास्त बढ़ाने के साथ-साथ मस्तिष्क का भी विकास करता है।
ब्लूबेरी में बड़ी मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं, जो फ्री रेडिकल्स से कोशिकाओं को होने वाले नुकसान से बचाते हैं। साथ ही यह फल शरीर की कोशिकाओं और उम्र के बीच संतुलन भी बनाता है। ये फल हृदय रोग और मानसिक रोग के खतरे को कम करने में अहम भूमिका निभाता है।
टमाटर लाइकोपेन से भरपूर होता है। ये न सिर्फ शरीर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाने से बचाता है, बल्कि अल्जाइमर के खतरे को भी कम करता है। ब्रोकली में विटामिन के सहित ढेरों पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो मस्तिष्क की शक्ति बढ़ाने में मददगार होते हैं। अंडे में विटामिन बी12 और कोलाइन प्रचूर मात्रा में पाए जाते हैं। यह मस्तिष्क की कोशिकाओं का निर्माण करता है, जिससे याददाश्त बढ़ती है।