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अब आपका पसीना बनेगा गैजेट्स का पासवर्ड, जानें-कौन कर रहा है तैयारी

यदि बहुत जल्द आपकी डिवाइस आपके हाथ में आते ही आपके पसीने को पहचान कर अनलॉक होने लगे तो अचंभित मत हो जाइएगा

By Srishti VermaEdited By: Published: Mon, 20 Nov 2017 11:29 AM (IST)Updated: Mon, 20 Nov 2017 12:48 PM (IST)
अब आपका पसीना बनेगा गैजेट्स का पासवर्ड, जानें-कौन कर रहा है तैयारी
अब आपका पसीना बनेगा गैजेट्स का पासवर्ड, जानें-कौन कर रहा है तैयारी

नई दिल्ली (जेएनएन)। आईफोन के लेटेस्ट मोबाइल में यूजर के चेहरे को पासवर्ड के रूप में इस्तेमाल किया गया है। सुरक्षा के लिहाज से बेशक इसे बहुत मजबूत समझा जा रहा हो, लेकिन वैज्ञानिक आपके स्मार्टफोन व अन्य डिवाइस को और अधिक सुरक्षित करने के लिए इससे भी आगे की सोच रहे हैं। इस बार उन्होंने आपके पसीने को आपकी डिवाइस का पासवर्ड बनाने का सोचा है। फिलहाल यह केवल एक विचार है, लेकिन वैज्ञानिक इस थ्योरी पर काफी हद तक सफल रहे हैं। उन्होंने संभावना जताई है कि यदि बहुत जल्द आपकी डिवाइस आपके हाथ में आते ही आपके पसीने को पहचान कर अनलॉक होने लगे तो अचंभित मत हो जाइएगा।

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बायोमेट्रिक पर आधारित है प्रणाली


स्मार्टफोन को अनलॉक करने की यह प्रणाली बायोमेट्रिक पर ही आधारित होगी। इस खोज का विचार देने वाले अमेरिका के अल्बेनी यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने विश्लेषण के बाद देखा कि सभी का पसीना अमीनो एसिड के कारण अलग-अलग होता है। इसलिए इसका इस्तेमाल पासवर्ड के रूप में किया जा सकता है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, इस तकनीक के तहत प्रोफाइल को डिवाइस में स्टोर किया जाएगा और हर बार अनलॉक करने के लिए पसीने को पहचान के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा।

पसीने को स्मार्टफोन का पासवर्ड बनाने की थ्योरी

शोधकर्ताओं के मुताबिक, त्वचा के स्राव में बहुत से छोटे अणु या मेटाबोलाइट्स होते हैं। इन पर विश्लेषण की आवश्यकता है। इसके बाद डिवाइस में प्रोफाइल बनाने की जरूरत पड़ेगी। चूंकि दिन के अलग-अलग समय व्यक्ति के पसीने का स्तर अलग-अलग रहता है, इसलिए डिवाइस द्वारा पूरे दिन अलग-अलग समय में पसीने को माप कर उसमें प्रोफाइल स्टोर किया जाएगा। एक बार जब प्रोफाइल डेवलप हो जाएगी, तब यूजर द्वारा फोन पकड़ते ही वो अनलॉक हो जाएगा।

ये मिलेगी सुविधा
इससे न केवल वर्तमान में मौजूद सुरक्षा तंत्र मजबूत होगा, बल्कि उन लोगों को भी आसानी होगी, जो किसी बीमारी के चलते अपनी अंगुलियों को एक जगह पर स्थिर नहीं रख सकते। वहीं, यूजर को किसी पासवर्ड को याद रखने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी। इसके अलावा जब कभी आप अपना स्मार्टफोन या अन्य कोई डिवाइस किसी ओर के सामने अनलॉक करते हैं तो यह भी संभावना रहती है कि वो आपका पासवर्ड या अनलॉक करने का पैटर्न देख ले। इस नई प्रणाली में इसकी संभावना ही नहीं रहेगी, क्योंकि फोन आपके पकड़ने से अनलॉक होगा।

इस तरह विकसित होते गए सुरक्षा के पैटर्न

पिन : फोन को सुरक्षित रखने के लिए कुछ लोग अभी भी इस तरीके का इस्तेमाल कर रहे हैं। पिन कोड से आप अपने मंपसंद नंबर या वर्ड को चुन कर अपना पासवर्ड बना सकते हैं। इस पासवर्ड से आप आसानी से आप अपना फोन लॉक व अनलॉक कर सकते हैं।

पैटर्न लॉक : एंड्राइड स्मार्टफोन में पैटर्न लॉक आने के बाद यह काफी लोकप्रिय हुआ। इसमें यूजर्स अपनी पसंद
का पेटर्न लगाकर फोन का डाटा सुरक्षित रख सकते हैं।  

फेशियल रिकॉग्निशन

यह जानना जरूरी है कि फेशियल रिकॉग्निशन काम कैसे करता है। चाहे यह स्मार्टफोन में हो या फिर किसी एयरपोर्ट पर सिक्योरिटी जांच के लिए। अगर आप सोशल मीडिया यूज करते हैं तो पता होगा कैसे फेसबुक आपके दोस्तों के चेहरे के आधार पर फोटो टैग करने का ऑप्शन देता है। वो भी एक तरह का फेशियल रिकॉग्निशन है, लेकिन ये ज्यादा सिक्योर है और इससे अलग है। फेशियल रिकॉग्निशन सिस्टम एक कंप्यूटर ऐप्लिकेशन है जो किसी शख्स को डिजिटल इमेज के तौर पर वेरिफाई कर सकता है। एक बार चेहरे के फीचर को स्कैन करके फीड किया जाता है। इसके बाद फोन चेहरे को स्कैन कर उसे रीड करता है और यूजर का चेहरा होने पर ही उसे अनलॉक करता है।

फिंगरप्रिंट स्कैनर
सुरक्षा प्रणाली के लिहाज से यह बेहद ही मजबूत माना जाता है क्योंकि इसे हैक करना बहुत कठिन है। इसमें मौजूद ऑप्टिकल स्कैनर आपके फिंगरप्रिंट के ऊपर एक ब्राइट कलर डालता है जो आपके फिंगरप्रिंट की डिजिटल फोटो कैप्चर करता है। इसके बाद यह डिजिटल फोटो आगे के वेरिफिकेशन के लिए कंप्यूटर में फीड किया जाता है। यह इमेज अपने आप आपके फिंगरप्रिंट को कोड में बदलता है।

आइरिस स्कैनर
आइरिस स्कैन फोन को सुरक्षित रखने का एक दूसरा लेवल पर है। इसमें आपका फोन आपके बिना खुल ही नहीं सकता। फोन में मौजूद आइरिस स्कैनर टेक्नोलॉजी आपकी आखें स्कैन करती है और फोन को लॉक व अनलॉक करती है।

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