मेरा भारत स्वच्छ : हर किसी के व्यवहार निर्माण का आंदोलन- उमा भारती
स्वच्छ भारत मिशन सिर्फ शौचालयों के निर्माण का कार्यक्रम नहीं है, बल्कि यह एक व्यवहार निर्माण का आंदोलन भी है जिसमें सदियों से चली आ रही खुले में शौच की प्रथा को बंद करना मुख्य लक्ष्य है।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। स्वच्छता के महत्व को सर्वप्रथम राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने समझा था। उन्होंने महिलाओं के उस मर्म को समझा कि उन्हें शौच के लिए अंधेरे का इंतजार करना पड़ता है। उनकी इस पीड़ा को ही व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा था कि स्वच्छता के अभाव में हमारी महिलाएं दिन के उजाले की बंदी हैं, ऐसे में वह स्वच्छता को स्वतंत्रता से अधिक महत्वपूर्ण मानते थे।
वर्ष 2014 के पूर्व देश की करीब 30 करोड़ महिलाओं को शौचालय के अभाव में इस अपमानजनक पीड़ा को सहना पड़ता था। स्वच्छ भारत मिशन ने ‘स्वच्छ शक्ति’ के माध्यम से महिलाओं की इस पीड़ा को समझा तथा इस दिशा में ठोस प्रयत्न आरम्भ किया। तब से देश में आठ करोड़ से ज्यादा शौचालयों का निर्माण हुआ है। 445 जिले और चार लाख से अधिक गांव पूर्णत: खुले में शौच से मुक्त हो चुके हैं। इस जन आंदोलन का नेतृत्व अधिकांशत: महिलाओं ने किया है। इसमें गंगा तट से लगे हुए 4465 गांव भी शामिल है जिन्हें पूर्णत: खुले में शौच मुक्त किया जा चुका है। इन गांवों में अब महिलाओं के नेतृत्व में तरल एवं ठोस अपशिष्ट प्रबंधन एवं वृक्षारोपण का भी कार्य किया जा रहा है।
स्वच्छ भारत मिशन सिर्फ शौचालयों के निर्माण का कार्यक्रम नहीं है, बल्कि यह एक व्यवहार निर्माण का आंदोलन भी है जिसमें सदियों से चली आ रही खुले में शौच की प्रथा को बंद करना मुख्य लक्ष्य है। इस अत्यंत चुनौतीपूर्ण कार्य को करने में देश की महिलाओं ने बढ़-चढ़कर अपने-अपने क्षेत्रों में महिला टोली, निगरानी समिति बना कर लोगों को समझाने एवं स्वच्छ व्यवहार अपनाने के लिए प्रेरित किया है। देश के कई हिस्सों में महिलाओं ने राज मिस्त्री का प्रशिक्षण लेकर स्वयं भी शौचालय निर्माण का कार्य किया है। यह उनके प्रयास का ही परिणाम है कि स्वच्छ भारत मिशन लोगों के खुले में शौच की आदत को बदलने में सफल हुआ है। इसका प्रमाणीकरण है कि विश्व बैंक के एक राष्ट्रीय सर्वे के अनुसार, ऐसे लोग जिनके पास शौचालय है उसमें से 93 फीसद लोग नियमित रूप से उसका प्रयोग करते हैं।
इस लिहाज से स्वच्छ भारत मिशन महिला सशक्तीकरण का एक आंदोलन है। यह सिर्फ भौतिक स्वच्छता से जुड़ा अभियान नहीं है, बल्कि बहुत गहरे से महिलाओं के सम्मान, स्वास्थ्य, स्वतंत्रता तथा आर्थिक आजादी से जुड़ा जनआंदोलन भी है। यह अभियान भारतीय महिलाओं के जीवन को बदल रहा है, जिसमें महिलाओं की सुरक्षा, उच्च शिक्षा तक पहुंच और आर्थिक सशक्ति को मजबूती दी है। स्वच्छ भारत के इस प्रयास को संबल देने के लिए ही, हमने पिछले वर्ष 15 सितंबर से 2 अक्टूबर तक ‘स्वच्छता ही सेवा’ पखवाड़े की शुरुआत की थी।
पिछले वर्ष की ही तरह इस वर्ष भी ‘स्वच्छता ही सेवा’ अभियान चलाया जाएगा। सभी विद्यालय, महाविद्यालय, विश्वविद्यालय, स्वयं सेवी संस्थाएं, उद्यमी संस्थाएं, पूरा सरकारी कार्य तंत्र, सभी गांव के पंच और सदस्य और प्रधान एवं पूरी जनता से आग्रह है कि सभी बड़ी संख्या में श्रमदान करें तथा अपने योगदान से इस संकल्प को पूर्ण करने में सहभागी बने। मुझे यकीन है कि हमेशा की तरह, महिलाएं इस पहल में भी नेतृत्व करेंगी। महिलाएं संस्कृति, स्वास्थ्य तथा परंपरा की वाहक होती है। बालक, माता तथा बहन से प्रेरणा पाकर ही समाज का सभ्य और आदर्श नागरिक बनता है और तभी वह नारी का सम्मान तथा उसकी महिमा के उच्चादर्शो को समझ पाता है। नारी को, स्वयं में ऐसी प्रेरणादाई सबला बनाने में स्वच्छ भारत ने सार्थक और सफल क्रांति का आगाज किया है।
शायद ही ऐसा कोई आदमी हो, जिसे साफ-सफाई की अहमियत न पता हो। इसके बावजूद भी अगर हमारे आसपास गंदगी मौजूद है, तो ये चिंता का विषय है। और यही चिंता हम सब नहीं करते। कचरा बीनने वाले जो सही मायने में स्वच्छता के सिपाही हैं, उन्हें हेयदृष्टि से देखा जाता है। उनकी सुख-सुविधा के लिए कोई कदम नहीं उठाए जाते हैं। हां, कचरा करने में हम सब माहिर हैं। आपकी आंखें तब चौंधियाती हैं, जब आप किसी दूसरे मुल्क में जाकर साफ-सफाई का आलम देखते हैं, कागज के एक टुकड़े को कहीं भी फेंकने से पहले सौ बार आपको सोचना पड़ जाता है। सफाई संस्कृति और संस्कारों की बात है। इसके लाभ भी अनगिनत हैं। तन-मन और धन की समृद्धि का यही मूल मंत्र है। जिन्होंने इस मूल मंत्र का जाप किया, उनका कल्याण हुआ। जिसने परहेज किया, वे पीछे छूट गए।
स्वच्छ भारत मिशन सिर्फ शौचालयों के निर्माण का कार्यक्रम नहीं है, बल्कि यह एक व्यवहार निर्माण का आंदोलन भी है जिसमें सदियों से चली आ रही खुले में शौच की प्रथा को बंद करना मुख्य लक्ष्य है।
-उमा भारती, केंद्रीय मंत्री,
पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय