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घर के 'असली' भेदिये सुरक्षा एजेंसियों के पकड़ से दूर

पाकिस्तान के लिए सैन्य क्षेत्रों की जासूसी करने वाले आइएसआइ एजेंट आसिफ की मेरठ से गिरफ्तारी के बाद यह बात सामने आई कि सेना के लोगों से उसके करीबी संबंध हैं। आसिफ की तरह पहले भी सेना की जासूसी करने वाले कई एजेंट पकड़े गए, लेकिन उन्हें बेनकाब नहीं किया जा सका। दरअसल, घर के 'असली' भेदियों तक सुर

By Edited By: Published: Mon, 18 Aug 2014 08:59 AM (IST)Updated: Mon, 18 Aug 2014 09:00 AM (IST)
घर के 'असली' भेदिये सुरक्षा एजेंसियों के पकड़ से दूर

लखनऊ [आनन्द राय]। पाकिस्तान के लिए सैन्य क्षेत्रों की जासूसी करने वाले आइएसआइ एजेंट आसिफ की मेरठ से गिरफ्तारी के बाद यह बात सामने आई कि सेना के लोगों से उसके करीबी संबंध हैं। आसिफ की तरह पहले भी सेना की जासूसी करने वाले कई एजेंट पकड़े गए, लेकिन उन्हें बेनकाब नहीं किया जा सका। दरअसल, घर के 'असली' भेदियों तक सुरक्षा एजेंसियां पहुंच नहीं पा रही हैं और सैन्य क्षेत्रों में आइएसआइ की घुसपैठ लगातार बढ़ रही है।

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इसका अंदाजा एजेंटों के पास से बरामद दस्तावेजों को देखकर सहज ही लगाया जा सकता है। गोपनीय दस्तावेज जो सैन्य अधिकारियों के अलावा दूसरों के हाथ नहीं जाने चाहिए, वह भी इनके पास से मिलते हैं। आसिफ से पहले फरवरी में झांसी में सेना का सेवानिवृत्त सूबेदार इंद्रपाल कुशवाहा पकड़ा गया। वह सेना में तैनाती के दौरान ही पाकिस्तान के लिए काम करने लगा। वर्ष 2011 में सिलीगुड़ी में ब्रिगेड कमांडर के पीए रहने के दौरान आइएसआइ ने उसे मोहरा बना लिया। एटीएस ने छानबीन में पाया कि सिलीगुड़ी से लेकर झांसी तक इंद्रपाल ने सेना की बहुत सी गोपनीय सूचनाएं पाकिस्तान भेजी। पर यह पता नहीं चल सका कि इंद्रपाल को सूचनाएं मुहैया कराने में और कौन लोग शामिल थे। सितंबर 2009 में भी उप्र एटीएस ने ही झांसी सैन्य क्षेत्र से आइएसआइ को संवेदनशील सूचनाएं भेजने वाले पाक एजेंट इम्तियाज अली सिद्दीकी को गिरफ्तार किया था। इम्तियाज के पास भी कई प्रतिबंधित दस्तावेज बरामद हुए थे। उसे सेना में किसी के सहयोग से ही दस्तावेज मिले थे।

लखनऊ में कुछ साल पहले एसटीएफ ने सेना के बर्खास्त मेजर ताज मुहम्मद उर्फ तेजा और सूबेदार बलवंत राय व उनके सहयोगियों को पकड़ा तो इसमें भी सेना की मध्य कमान से सूचनाएं लेने की बात सामने आई। आइएसआइ ने लखनऊ में एयरोनाटिक्स में बन रहे हवाई जहाज के तकनीकी पुर्जो की जानकारी के लिए भी काफी प्रयास किया था। करीब तीन दशक पहले सेना की जासूसी का मामला सामने आया। तब सेवानिवृत्त मेजर जनरल एफडी लारकिंस और एयरफोर्स के केएच लारकिंस की लखनऊ से गिरफ्तारी हुई थी। ये लोग अमेरिकी एजेंसी सीआइए के एजेंट के तौर पर काम कर रहे थे।

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