सुषमा ने पाक को धोया, हमने IIT बनाई, पाकिस्तान ने लश्कर-ए-तैयबा बनाया
सुषमा ने यूएन महासभा में केंद्र सरकार की जनधन योजना, मुद्रा योजना और उज्जवला योजना का जिक्र किया।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। भारत ने संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की धज्जियां उड़ाते हुए आतंकवाद के उसके दोगले चेहरे को पूरी तरह बेनकाब कर दिया। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पाकिस्तान पर जबरदस्त प्रहार करते हुए कहा कि आतंकवाद के सहारे हैवानियत की हद पार करने वाला मुल्क हमें मानवाधिकार की पाठ पढ़ाने की सीख दे रहा है।
संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के भारत विरोधी बयानों को धराशायी करते हुए विदेशमंत्री ने साफ कहा कि हम आतंकवाद से लड़ रहे हैं तो पाकिस्तान हमसे लड़ रहा है। पाकिस्तान की बखिया उधेड़ने के साथ ही सुषमा ने आतंकवाद पर दोहरी नीति को लेकर विश्व बिरादरी को यह कहते हुए कठघरे में खड़ा किया कि अच्छे और बुरे आतंकवाद का फर्क मिटाए बिना इसका खात्मा नहीं किया जा सकता। आतंकवाद की परिभाषा पर संयुक्त राष्ट्र में अब तक नहीं बनी सहमति पर भी भारत ने गंभीर सवाल उठाया।
विदेश मंत्री ने संयुक्त राष्ट्र आम सभा में अपने संबोधन की शुरुआत तो भारत में सामाजिक और आर्थिक विकास की लिखी जा रही नई कहानियों से की। मगर इसके बाद सुषमा स्वराज ने संयुक्त राष्ट्र में पाक पीएम शाहिद खकान अब्बासी के दो दिन पहले भारत के विरोध में उगले गए जहर का बेहद सख्त जवाब दिया। सुषमा ने कहा कि हम गरीबी से लड़ रहे हैं मगर हमारा पड़ोसी हमसे लड़ रहा है। उन्होंने कहा कि अब्बासी ने भारत पर सरकार प्रायोजित आतंकवाद और मानवाधिकार का उल्लंघन करने से लेकर कई तरह के आरोप लगाए। तो लोगों ने यहां कहा देखो यह कौन बोल रहा है।
विदेश मंत्री ने कहा कि हैवानियत की हद पार करने वाला पाकिस्तान हमें इंसानियत का पाठ पढ़ा रहा। जिन्ना के शांति और दोस्ती की विरासत का हवाला देने के खकानी के बयान की खिल्ली उड़ाते हुए सुषमा ने कहा कि जिन्ना ने क्या कहा और नहीं कहा यह तो इतिहास की बात है। मगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शांति और दोस्ती का हाथ बढ़ाया मगर शांति किसने बदरंग की है यह दुनिया जानती है। जम्मू-कश्मीर में तीसरे पक्ष की भूमिका के खकानी के बयान पर पाकिस्तान को आईना दिखाते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि शिमला समझौते और लाहौर घोषणा में द्विपक्षीय बातचीत से मसले हल करने की बात पाक के हुक्मरानों को याद तो कर लेनी चाहिए, वे सब कुछ भूल जाते हैं। द्विपक्षीय वार्ता से भागने के पाक के रवैये को बेनकाब करते हुए विदेशमंत्री ने कहा कि जब हार्ट आफ एशिया सम्मेलन के लिए वे इसलामाबाद गई थीं तो तत्कालीन पीएम नवाज शरीफ के साथ समग्र द्विपक्षीय वार्ता पर सहमति बन गई थी। उन्होंने कहा कि इस पर बात आगे क्यों नहीं बढ़ी इसका जवाब पाक को देना है हमें नहीं।
संयुक्त राष्ट्र में कूटनीतिक मुद्दों पर पाकिस्तान की बखिया उधड़ने के बाद सुषमा ने उसकी मौजूदा हालत की भी दुनिया के सामने पोल खोली। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के सियासतदां इस बात पर सोचें कि भारत और पाक एक साथ आजाद हुए। इस दौरान आज भारत की पहचान दुनिया में आईटी सुपर पावर के रुप में है वहीं पाकिस्तान की पहचान एक आतंकी देश की है। विदेश मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान की आतंकवाद चुनौतियों के बावजूद बीते 70 साल में भारत की हर सरकार ने विकास को आगे बढ़ाया है। हमने इस क्रम में आइआइटी, आइआइएम, एम्स से लेकर अंतरिक्ष के क्षेत्र में विकास की उड़ान भरी है। तो पाकिस्तान ने लश्कर, जैश ए मोहम्मद, हक्कानी नेटवर्क, हिजबुल मुजाहिद्दीन जैसे आतंकवादी बनाए हैं।
सुषमा ने कहा कि पाक ने आतंकियों को पैसा देकर जिहादी पैदा किए हैं तो भारत ने विद्वान, वैज्ञानिक और डाक्टरों की फौज खड़ी की है। उन्होंने कहा कि डाक्टर मरने वालों की जिंदगी बचाते हैं तो आतंकी निर्दोष को मारते हैं। पाकिस्तान के आतंक से दूसरे पड़ोसी देशों के भी परेशान होने का जिक्र करते हुए सुषमा ने कहा कि बांग्लादेश और अफगानिस्तान भी पाक के आतंक के भुक्तभोगी हैं। इसीलिए संयुक्त राष्ट्र में ऐसा पहली बार हुआ है कि पाक पीएम के भाषण के बाद किसी देश को तीन देशों को जवाब देना पड़ा हो। सुषमा ने इसके बाद आतंकवाद पर दोहरा रवैया अपना रहे देशों पर निशाना साधते हुए कहा कि द्विपक्षीय बयानों में आतंकवाद से मुकाबला की प्रतिबद्धता जताने की रस्म से अब बात नहीं बनेगी। इसको हकीकत में तब्दील करने के लिए संयुक्त राष्ट्र को जहां आतंकवाद की परिभाषा इस साल तय करनी चाहिए क्योंकि मतभेद से इसके खिलाफ लड़ाई आगे नहीं बढ़ेगी। वहीं अपने हित के लिए अच्छे और बुरे आतंकवाद में फर्क करने की प्रवृत्ति को भी बदलना होगा।
सुषमा ने साफ तौर पर इसके जरिए चीन पर परोक्ष निशाना साधा जो हाफिज सईद को संयुक्त राष्ट्र की आतंकी सूची में डालने पर अब तक वीटो लगाता रहा है। विदेश मंत्री ने इसके साथ ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार को तेजी से बढ़ाने पर भी जोर दिया। वहीं सुषमा ने भारत में सामाजिक और आर्थिक विकास के साथ जलवायु परिवर्तन की दिशा में किए जा रहे तमाम कार्यो से भी दुनिया को रुबरू कराया।
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