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Survey : पांच राज्यों में 30 फीसद महिलाएं घरेलू हिंसा की शिकार, सबसे बुरा हाल कर्नाटक का

महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा के मामलों में सबसे बुरा हाल कर्नाटक असम मिजोरम तेलंगाना और बिहार में है। सर्वेक्षण में 6.1 लाख घरों को शामिल किया गया। इसमें साक्षात्कार के जरिये आबादी स्वास्थ्य परिवार नियोजन और पोषण संबंधी मानकों के संबंध में सूचना एकत्र की गई।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Mon, 14 Dec 2020 10:03 PM (IST)Updated: Mon, 14 Dec 2020 10:03 PM (IST)
कर्नाटक में पांच साल में दोगुना से भी ज्यादा बढ़ा पतियों का अत्याचार

नई दिल्ली, प्रेट्र। देश के 22 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में किए गए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) के मुताबिक, पांच राज्यों की 30 फीसद से अधिक महिलाएं अपने पति द्वारा शारीरिक एवं यौन हिंसा की शिकार हुई हैं। वहीं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) ने कोरोना महामारी के मद्देनजर ऐसी घटनाओं में वृद्धि की आशंका जताई है।

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महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा के मामलों में सबसे बुरा हाल कर्नाटक, असम, मिजोरम, तेलंगाना और बिहार में है। सर्वेक्षण में 6.1 लाख घरों को शामिल किया गया। इसमें साक्षात्कार के जरिये आबादी, स्वास्थ्य, परिवार नियोजन और पोषण संबंधी मानकों के संबंध में सूचना एकत्र की गई। एनएफएचएस-5 सर्वेक्षण के मुताबिक, कर्नाटक में 18-49 आयु वर्ग की करीब 44.4 फीसद महिलाओं को अपने पति द्वारा घरेलू हिंसा का सामना करना पड़ा। जबकि, 2015-2016 के सर्वेक्षण के दौरान राज्य में ऐसी महिलाओं की संख्या करीब 20.6 फीसद थी।

आंध्र प्रदेश में 30 फीसद महिलाएं घरेलू हिंसा का हुईं शिकार

सर्वेक्षण के आंकड़ों के मुताबिक, बिहार में 40 फीसद महिलाओं को उनके पति द्वारा शारीरिक और यौन हिंसा झेलनी पड़ी जबकि मणिपुर में 39 फीसद, तेलंगाना में 36.9 फीसद, असम में 32 फीसद और आंध्र प्रदेश में 30 फीसद महिलाएं घरेलू हिंसा की शिकार हुईं।

सात राज्यों में बढ़े मामले

सर्वेक्षण के मुताबिक सात राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में पिछले एनएफएचएस सर्वेक्षण की तुलना में घरेलू हिंसा के मामलों में वृद्धि दर्ज की गई। इस बीच, सामाजिक कार्यकर्ताओं और एनजीओ ने घरेलू हिंसा के मामलों में वृद्धि के लिए कम साक्षरता दर और शराब का सेवन समेत अन्य कारणों को जिम्मेदार ठहराया है। जनस्वास्थ्य विशेषज्ञ पूनम मुतरेजा ने कहा कि बड़े राज्यों में महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा के मामलों की संख्या में वृद्धि चिंता का विषय है क्योंकि यह सभी क्षेत्रों में प्रचलित हिंसा की संस्कृति को दर्शाता है। महिला अधिकार कार्यकर्ता शमीना शफीक ने कहा कि सरकार को घरेलू हिंसा को लेकर सख्ती से पेश आने की जरूरत है।


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