Move to Jagran APP

सीबीआइ-ईडी निदेशकों से जुड़े अध्यादेशों को चुनौती वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि सीबीआइ और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के निदेशकों का निर्धारित दो साल का कार्यकाल तीन साल और बढ़ाने संबंधी दो अध्यादेशों की वैधता को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को वह जल्द ही सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करेगा।

By TaniskEdited By: Published: Thu, 25 Nov 2021 09:26 PM (IST)Updated: Thu, 25 Nov 2021 09:26 PM (IST)
सीबीआइ-ईडी निदेशकों से जुड़े अध्यादेशों को चुनौती वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई
सीबीआइ-ईडी निदेशकों से जुड़े अध्यादेशों को चुनौती वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई।

नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि सीबीआइ और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के निदेशकों का निर्धारित दो साल का कार्यकाल तीन साल और बढ़ाने संबंधी दो अध्यादेशों की वैधता को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को वह जल्द ही सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करेगा। प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने इस दलील पर संज्ञान लिया कि इस मुद्दे पर जनहित याचिका को अभी सुनवाई के लिए सूचीबद्ध होना है।

loksabha election banner

याचिका को अपनी निजी हैसियत से दाखिल करने वाले अधिवक्ता एमएल शर्मा ने कहा कि इनमें से एक अध्यादेश से मिली शक्ति का इस्तेमाल करके अब ईडी के निदेशक संजय कुमार मिश्र का कार्यकाल भी बढ़ा दिया गया है। इस पर पीठ ने कहा, 'हम इसे सूचीबद्ध करेंगे।'

जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि केंद्रीय सतर्कता आयोग (संशोधन) अध्यादेश और दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान (संशोधन) अध्यादेश असंवैधानिक, मनमाने और संविधान के विरुद्ध हैं। इसमें इन्हें रद करने की मांग की गई है। याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि केंद्र सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 123 के तहत मिली अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया है।

इसमें यह भी कहा गया है कि अध्यादेशों का उद्देश्य एक जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले को दरकिनार करना है, जिसमें ईडी निदेशक मिश्रा के 2018 के नियुक्ति आदेश में किए गए बदलाव को चुनौती दी गई थी, जिससे उनके कार्यकाल का विस्तार हुआ था। सुप्रीम कोर्ट ने 8 सितंबर को ईडी के निदेशक के रूप में मिश्रा की 2018 की नियुक्ति के आदेश में बदलाव को चुनौती देने वाली एक याचिका को खारिज कर दिया था। इसमें कहा गया था कि चल रही जांच को पूरा करने के लिए उचित अवधि तक विस्तार दी जा सकती है। हालांकि, कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया था कि सेवानिवृत्ति की आयु प्राप्त करने वाले अधिकारियों के कार्यकाल का विस्तार दुर्लभ और असाधारण मामलों में किया जाना चाहिए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.