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सुप्रीम कोर्ट तय करेगा धार्मिक स्थलों में महिलाओं से भेदभाव के विचारणीय कानूनी प्रश्न

संविधान पीठ के विचार के लिए कानूनी प्रश्न तय करने को लेकर एक राय न बन पाने पर कोर्ट ने कहा कि वह स्वयं कानूनी प्रश्न तय करेगा।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Mon, 03 Feb 2020 09:09 PM (IST)Updated: Mon, 03 Feb 2020 09:09 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट तय करेगा धार्मिक स्थलों में महिलाओं से भेदभाव के विचारणीय कानूनी प्रश्न
सुप्रीम कोर्ट तय करेगा धार्मिक स्थलों में महिलाओं से भेदभाव के विचारणीय कानूनी प्रश्न

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। विभिन्न धर्मो में धार्मिक स्थलों में प्रवेश में महिलाओं के साथ भेदभाव के मामलों में सुप्रीम कोर्ट विचार के कानूनी प्रश्न तय करेगा। विभिन्न पक्षकारों के वकीलों के बीच संविधान पीठ के विचार के लिए कानूनी प्रश्न तय करने को लेकर एक राय न बन पाने पर कोर्ट ने कहा कि वह स्वयं कानूनी प्रश्न तय करेगा जिस पर नौ न्यायाधीशों की संविधान पीठ विचार करेगी। कोर्ट गुरुवार को इस मामले में फिर सुनवाई करेगा।

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सबरीमाला मंदिर में हर महिला को जाने के फैसले पर पुनर्विचार की मांग

सबरीमाला मंदिर में हर आयुवर्ग की महिला को प्रवेश की इजाजत देने वाले फैसले पर पुनर्विचार की मांग पर सुनवाई करते हुए पांच न्यायाधीशों की पीठ ने गत वर्ष 14 नवंबर को विभिन्न धर्मो में धार्मिक स्थलों में महिलाओं के प्रवेश मे भेदभाव के सात कानूनी सवाल विचार के लिए सात न्यायाधीशों की पीठ को भेजे थे। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में विचार के लिए सात के बजाए नौ न्यायाधीशों की पीठ गठित की। कोर्ट ने पक्षकारों के वकीलों और सालिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा था कि वे बैठक कर के पीठ को भेजे गए सवालों को रिफ्रेम करने या उसमें कुछ और जोड़ने पर चर्चा करके कानूनी प्रश्न तय करें।

वकीलों की बैठक तो हुई, लेकिन कानूनी सवाल पर आमराय नहीं बनी

पिछले सप्ताह सालिसिटर जनरल ने मुख्य न्यायाधीश की पीठ के समक्ष मामले का जिक्र करते हुए बताया था कि कोर्ट के निर्देशानुसार वकीलों की बैठक तो हुई, लेकिन कानूनी सवाल तय करने पर आमराय नहीं बन पाई। यह मामला सबरीमाला के अलावा मस्जिद में मुस्लिम महिलाओं के प्रवेश, दाउदी बोहरा मुसलमानों में महिलाओं का खतना और पारसी महिला के गैर पारसी से शादी करने पर अग्रहारी में प्रवेश पर पाबंदी से भी जुड़ा है।

महिलाओं के धार्मिक स्थलों में प्रवेश में भेदभाव का मामला बड़ी पीठ को भेजे जाने का विरोध

सोमवार को यह मामला मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली नौ न्यायाधीशों की संविधान पीठ के समक्ष सुनवाई पर लगा था। वरिष्ठ वकील फली नारिमन, श्याम दीवान, कपिल सिब्बल, राजीव धवन, राकेश द्विवेदी और रवि प्रकाश गुप्ता ने सबरीमाला फैसले में पुनर्विचार पर सुनवाई करने वाली पीठ के सभी धर्मो की महिलाओं के धार्मिक स्थलों में प्रवेश में भेदभाव के व्यापक कानूनी मुद्दे को बड़ी पीठ को भेजे जाने के आदेश का विरोध किया।

सुप्रीम कोर्ट के पास पुनर्विचार के दौरान मामले को बड़ी पीठ को भेजने का क्षेत्राधिकार नहीं

इन लोगों का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट के पास पुनर्विचार के दौरान मामले को व्यापक बनाते हुए बड़ी पीठ को भेजने का क्षेत्राधिकार नहीं है। पुनर्विचार याचिका पर कोर्ट के विचार का सीमित दायरा होता है। इस पर कोर्ट ने कहा कि वह सबरीमाला मामले में पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई नहीं कर रहा है कोर्ट सिर्फ उन व्यापक कानूनी सवालों पर विचार करेगा जो पांच न्यायाधीशों की पीठ ने उसे विचार के लिए भेजे हैं। हालांकि कोर्ट ने कहा कि वह इस बिन्दु को भी विचारणीय कानूनी प्रश्नों में शामिल करेगा।

सालिसिटर जनरल ने कहा- सुप्रीम कोर्ट को अधिकार है कि वह मामले को बड़ी पीठ को भेज सकती है

उधर दूसरी ओर सालिसिटर जनरल तुषार मेहता और वरिष्ठ वकील के. परासरन ने कहा कि कोर्ट को व्यापक अधिकार है कि वह मामले में सुनवाई के दौरान कोई मुद्दा आने पर उसे बड़ी पीठ को भेज सकती है।


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