सुप्रीम कोर्ट ने 75 लाख रुपये की जमानत शर्त की माफ, राशि नहीं जमा कर पाने के चलते कई सालों से जेल में था आरोपित
ठाकुर के वकील नामित सक्सेना ने कहा कि आवेदक चार साल से जेल में है और वह 75 लाख रुपये की अतिरिक्त सिक्योरिटी जमा करने में सक्षम नहीं है। सक्सेना की दलीलें सुनने के बाद पीठ ने अतिरिक्त 75 लाख रुपये की जमानत शर्त माफ कर दी।
नई दिल्ली, एजेंसियां: सुप्रीम कोर्ट ने धोखाधड़ी और जालसाजी के मामले में एक आरोपित की 75 लाख रुपये की जमानत शर्त माफ कर दी। इस शर्त के चलते जमानत मिलने के बावजूद आरोपित चार साल से जेल में था। उसके खिलाफ गौतम बुद्ध नगर जिला अदालत में मुकदमा चल रहा है।
जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमएम सुंद्रेश की पीठ ने मामले के तथ्यों को परखने के बाद यह आदेश दिया। पीठ ने कहा कि इस अदालत द्वारा चार साल पहले जमानत मिलने के बावजूद आवेदक हर्षदेव ठाकुर जमानत शर्त के चलते अभी भी हिरासत में है। इसको देखते हुए अदालत जमानत शर्त को माफ करना उचित समझती है। पीठ ने 12 अगस्त को मामले पर सुनवाई की।
ठाकुर के वकील नामित सक्सेना ने कहा कि आवेदक चार साल से जेल में है और वह 75 लाख रुपये की अतिरिक्त सिक्योरिटी जमा करने में सक्षम नहीं है। सक्सेना की दलीलें सुनने के बाद पीठ ने अतिरिक्त 75 लाख रुपये की जमानत शर्त माफ कर दी। भारत स्टार सर्विस की शिकायत पर नोएडा पुलिस ने ठाकुर को 10 सितंबर, 2017 को गिरफ्तार किया था। 2018 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 50 लाख रुपये नकद जमा करने की शर्त पर ठाकुर की जमानत मंजूरी की थी। भारत स्टार सर्विस ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी और आरोपित की जमानत रद करने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने उसी साल 75 लाख रुपये की अतिरिक्त राशि जमा करने की शर्त पर ठाकुर की जमानत मंजूर कर ली थी।