सुप्रीम कोर्ट से उपभोक्ता आयोगों के रिक्त पदों पर भर्ती के निर्देश देने का आग्रह
सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर केंद्र राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेशों को उपभोक्ता आयोगों के अध्यक्षों एवं सदस्यों के रिक्त पदों को भरने का निर्देश दिए जाने का अनुरोध किया गया है। कहा गया है कि नियुक्तियां करने में निष्क्रियता के कारण मामले लंबित हो रहे हैं।
नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर केंद्र, राज्य एवं केंद्रशासित प्रदेशों को उपभोक्ता आयोगों के अध्यक्षों एवं सदस्यों के रिक्त पदों को भरने का निर्देश दिए जाने का अनुरोध किया गया है। कहा गया है कि नियुक्तियां करने में निष्क्रियता के कारण मामले लंबित हो रहे हैं। याचिका में आरोप लगाया गया है कि जिला एवं राज्य उपभोक्ता आयोगों में रिक्तियों को भरने संबंधी विभिन्न उच्च न्यायालयों के आदेशों को संबंधित अधिकारियों ने नजरअंदाज किया है। इन पैनलों को सुचारु रूप से चलाने के लिए पर्याप्त बुनियादी ढांचे का अभाव है।
अधिकारियों को यह भी निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि उपभोक्ता आयोगों को शीघ्र उचित बुनियादी ढांचा एवं कर्मी मुहैया कराया जाए और शीर्ष अदालत में इस संबंध में विस्तृत रिपोर्ट जमा कराई जाए। कानून की छात्रा सलोनी गौतम की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि रिक्त पदों को भरने में अधिकारियों की निष्क्रियता के कारण मामलों के शीघ्र निस्तारण के अधिकार का उल्लंघन हो रहा है।
दायर याचिका के माध्यम से वकील ओम प्रकाश परिहार ने कहा कि याचिकाकर्ता इस जनहित याचिका को दायर कर रहा है। भारत भर में जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोगों और राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोगों के समक्ष अध्यक्ष, सदस्यों और कर्मचारियों की नियुक्ति में सरकारों की निष्क्रियता को चुनौती दे रहा है, जिसके कारण भारत भर में उपभोक्ता मामलों में रुके हुए हैं और न्याय में देरी हो रही है।
उन्होंने कहा कि जुलाई में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 लागू हुआ, और इसने क्रमशः जिला, राज्य और राष्ट्रीय आयोगों के लिए आर्थिक क्षेत्राधिकार को बदल दिया। याचिका में कहा गया है कि राज्य आयोग के लिए जिला आयोग की सीमा को बढ़ाकर एक करोड़ रुपये कर दिया गया है। राज्य आयोग की सीमा को बढ़ाकर 10 करोड़ रुपये कर दिया गया है और राष्ट्रीय आयोग के लिए यह अब बढ़कर 10 करोड़ रुपये से अधिक हो गया है।