दिव्यांग एक्ट लागू करने में देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई सरकार को फटकार
कोर्ट ने अदालतों को दिव्यांगों के लिए सुविधाजनक बनाने की मांग पर सभी उच्च न्यायालयों और सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेटरी जनरल को भी नोटिस जारी किया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सार्वजनिक स्थानों और संस्थाओं को दिव्यांगों के लिए सुविधाजनक बनाने के गत वर्ष के आदेश पर अमल न होने पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि सरकार आप चला रहे हैं, हम नहीं। दिव्यांग एक्ट लागू करना आपकी जिम्मेदारी है। कोर्ट छह-सात महीने पहले आदेश दे चुका है लेकिन अब तक कुछ नहीं बदला। कोर्ट ने अदालतों को दिव्यांगों के लिए सुविधाजनक बनाने की मांग पर सभी उच्च न्यायालयों और सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेटरी जनरल को भी नोटिस जारी किया है।
न्यायमूर्ति एके सीकरी व अशोक भूषण की पीठ ने सार्वजनिक स्थलों को दिव्यांगों के लिए सुविधाजनक बनाए जाने के मामले में सुनवाई की। पीठ ने कहा कि उन्होंने गत वर्ष 15 दिसंबर के आदेश में कुछ नया नहीं कहा था। कोर्ट ने सिर्फ सरकार के बनाए कानून को लागू करने को कहा था। कानून लागू करना सरकार का काम है। कोर्ट ने केंद्र सरकार को चार सप्ताह में विस्तृत हलफनामा दाखिल कर इस दिशा में हुए काम और उसे पूरा करने की समयसीमा का ब्योरा देने को कहा है।
केंद्र की ओर से पेश एएसजी पिंकी आनंद ने कोर्ट से कहा कि वे हलफनामा दाखिल कर ब्योरा पेश करेंगी। कोर्ट के आदेश के मुताबिक काफी काम हुआ है। दूसरी ओर, राज्यों द्वारा भी आदेश पर अमल न किए जाने पर कोर्ट ने नाराजगी जताई। कोर्ट ने राज्यों को चेतावनी दी कि अगर उन्होंने आदेश का पालन नहीं किया तो उनके मुख्य सचिवों को कोर्ट में बुलाकर देरी का कारण पूछा जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट में एक नई याचिका दाखिल हुई है, जिसमें अदालतों को दिव्यांगों, विशेषकर नेत्रहीनों के लिए सुविधाजनक बनाए जाने की मांग की गई है। कोर्ट ने इस याचिका पर सभी उच्च न्यायालयों के रजिस्ट्रार जनरल और सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेटरी जनरल को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
सुप्रीम कोर्ट ने गत वर्ष 15 दिसंबर को 11 दिशा-निर्देश जारी किए थे, जिनमें सार्वजनिक स्थलों, संस्थानों, परिवहन और शिक्षण संस्थाओं आदि को दिव्यांगों के लिए सुविधाजनक बनाने के निर्देश दिए गए थे। कोर्ट ने कहा था कि सभी सरकारी इमारतें जहां पब्लिक सर्विस मुहैया कराई जाती है, उन्हें दिव्यांगों के लिए सुविधाजनक बनाया जाए। कोर्ट ने इन इमारतों को दिव्यांगों को अधिकार देने के कानून के मुताबिक जून, 2019 तक दिव्यांगों के लिए सुविधाजनक बनाने का निर्देश दिया था।