सांसदों-विधायकों के खिलाफ लंबित मामलों से सुप्रीम कोर्ट नाखुश, पेंडिंग 4,400 से ज्यादा आपराधिक केस
सांसदों-विधायकों के खिलाफ देशभर की अदालतों में काफी समय से लंबित मामलों पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को नाखुशी जताई। अदालत में कलकत्ता हाई कोर्ट की ओर से पेश अधिवक्ता ने बताया कि बंगाल में एक पूर्व विधायक के खिलाफ 35 से भी अधिक वर्षों से एक मामला लंबित है।
नई दिल्ली, एएनआइ। सांसदों-विधायकों के खिलाफ देशभर की अदालतों में काफी समय से लंबित मामलों पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को नाखुशी व्यक्त की। जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह असंतोष तब व्यक्त किया जब कलकत्ता हाई कोर्ट की ओर से पेश अधिवक्ता ने बताया कि बंगाल में एक पूर्व विधायक के खिलाफ 35 से भी अधिक वर्षों से एक मामला लंबित है।
त्वरित सुनवाई की मांग
शीर्ष अदालत भाजपा नेता और अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इसमें उन्होंने वर्तमान और पूर्व सांसदों-विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों की तेजी से सुनवाई और विशेष अदालतें गठित किए जाने का आदेश देने की मांग की है। इससे पहले सितंबर में सुप्रीम कोर्ट ने वर्तमान एवं पूर्व सांसदों-विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों की सुनवाई के लिए देशभर में सभी हाई कोर्टों के मुख्य न्यायाधीशों से पीठों की अध्यक्षता करने के लिए कहा था।
4,400 से ज्यादा आपराधिक केस लंबित
यह आदेश तब दिया गया था जब सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि देशभर की अदालतों में वर्तमान एवं पूर्व सांसदों-विधायकों के खिलाफ 4,400 से ज्यादा आपराधिक मामले लंबित हैं। याद दिला दें कि सांसदों-विधायकों के खिलाफ काफी समय से लंबित मामलों की सुनवाई में तेजी लाने और उन्हें निपटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 14 दिसंबर, 2017 को देशभर में विशेष अदालतें गठित करने का आदेश दिया था।
मप्र में विधायकों के खिलाफ अयोग्यता कार्यवाही का निपटारा
समाचार एजेंसी पीटीआइ के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को उस याचिका का निपटारा कर दिया जिसमें मध्य प्रदेश के कुछ कांग्रेस विधायकों के खिलाफ अयोग्यता कार्यवाही लंबित रहने का मुद्दा उठाया गया था। ये विधायक भाजपा में शामिल हो गए थे और शिवराज सिंह चौहान सरकार में उन्हें मंत्री बनाया गया था।
सुनवाई में देरी पर चिंता जताई
प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष कांग्रेस विधायक विनय सक्सेना की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने बताया कि मध्य प्रदेश में 28 विधानसभा सीटों पर मंगलवार को उपचुनाव होने से यह मामला निष्फल हो गया है। उन्होंने अयोग्यता मामलों की सुनवाई में देरी पर चिंता भी व्यक्त की। इस पर प्रधान न्यायाधीश ने कहा, 'इसके लिए हम जिम्मेदार नहीं हैं.. आप लोग (वकील) समय मांगते हैं.. खैर, हम इसका ध्यान रखेंगे।'