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सुप्रीम कोर्ट में आज सिर्फ महिला न्यायाधीश करेंगी सुनवाई, फिर बनेगा इतिहास

सुप्रीम कोर्ट में पहली बार 2013 में पूरी तरह महिलाओं वाली पीठ देखने को मिली थी।

By Tilak RajEdited By: Published: Wed, 05 Sep 2018 09:53 AM (IST)Updated: Wed, 05 Sep 2018 09:53 AM (IST)
सुप्रीम कोर्ट में आज सिर्फ महिला न्यायाधीश करेंगी सुनवाई, फिर बनेगा इतिहास

नई दिल्‍ली, जेएनएन। सुप्रीम कोर्ट में एक बार फिर इतिहास दोहराया जा रहा है। आज सुप्रीम कोर्ट में सिर्फ महिला जजों की पीठ बैठेगी और मामले सुनेगी। इससे पहले भी एक बार ऐसा हो चुका है। पिछले महीने अगस्त में न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी को शपथ दिलाए जाने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में पहली बार तीन महिला न्यायाधीश हैं। आजादी के बाद से शीर्ष अदालत में वह आठवीं महिला न्यायाधीश हैं। तीन वर्तमान महिला न्यायाधीशों में न्यायमूर्ति भानुमति सबसे वरिष्ठ हैं। उन्हें 13 अगस्त 2014 को उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया था।

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2013 में पहली बार दिखी थी पूरी तरह महिलाओं वाली पीठ

इंदिरा बनर्जी से पहले जस्टिस फातिमा बीबी, जस्टिस सुजाता वी मनोहर, जस्टिस रूमा पॉल, जस्टिस ज्ञान सुधा मिश्रा, जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई, जस्टिस आर भानुमति और जस्टिस इंदु मल्होत्रा सुप्रीम कोर्ट में जज बनाई जा चुकी हैं। सुप्रीम कोर्ट में पहली बार 2013 में पूरी तरह महिलाओं वाली पीठ देखने को मिली थी। उस समय एक मामले पर सुनवाई के लिए न्यायमूर्ति ज्ञान सुधा मिश्रा और न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई की पीठ बैठी थी।

बीवी फातिमा थीं पहली महिला जज

न्यायमूर्ति फातिमा बीवी फातिमा सुप्रीम कोर्ट में 1989 में जज बनीं थीं। सुप्रीम कोर्ट के 1950 में गठन के 39 वर्षों के बाद 1989 में किसी महिला को शीर्ष अदालत का न्यायाधीश बनाया गया। केरल उच्च न्यायालय के पद से सेवानिवृत्त होने के बाद उन्हें शीर्ष अदालत में नियुक्त किया गया था।

जस्टिस इंदिरा बनर्जी

जस्टिस आर भानुमति, जस्टिस इंदु मल्होत्रा और जस्टिस इंदिरा बनर्जी का नाम इतिहास में दर्ज होने जा रहा है। जस्टिस इंदिरा बनर्जी ने पिछले महीने आठवीं महिला जज के तौर पर ज्वॉइन किया। इंदिरा बनर्जी का जन्म 24 सितंबर, 1957 को हुआ। उनकी शुरुआती पढ़ाई कोलकाता के लोरेटो हाउस में हुई और उसके बाद कोलकाता के प्रसिद्ध प्रेसिडेंसी कॉलेज से ग्रेजुएशन किया। फिर कानून की पढ़ाई के लिए कोलकाता लॉ यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया। 5 जुलाई, 1985 को इंदिरा वकील बनीं और कोलकाता में निचली अदालत व हाईकोर्ट में प्रैक्टिस शुरू की। 5 फरवरी, 2002 को कोलकाता हाईकोर्ट की स्थायी जज बन गईं और 2016 में दिल्ली हाई कोर्ट में आईं। 5 अप्रैल, 2017 को मद्रास हाई कोर्ट की चीफ जस्टिस के तौर पर कार्यभार संभाला।

जस्टिस इंदु मल्होत्रा

जस्टिस इंदिरा बनर्जी से पहले इसी वर्ष अप्रैल में इंदु मल्होत्रा ने वरिष्ठ वकील से सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस तक का सफर तय किया था। वे बार काउंसिल से सीधे जस्टिस बनने वाली पहली महिला वकील हैं। इंदु मल्होत्रा पहली महिला वकील हैं, जिन्हें सीधे सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया। इंदु मल्होत्रा का जन्म 14 मार्च, 1956 में बेंगलुरू में हुआ था, हालांकि दिल्ली में वे पली-बढ़ी हैं। शुरुआती पढ़ाई कॉर्मल कॉन्वेंट स्कूल, दिल्ली से की है। इसके बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी के लेडी श्रीराम कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस में ग्रेजुएशन और फिर मास्टर डिग्री हासिल की, जिसके बाद कानून की पढ़ाई की।

जस्टिस आर भानुमति

वर्तमान में इंदिरा बनर्जी और इंदु मल्होत्रा के बाद सुप्रीम कोर्ट में तीसरी महिला जस्टिस हैं आर भानुमति। उनका जन्‍म 20 जुलाई, 1955 को हुआ। 2003 में तमिलनाडु हाई कोर्ट की जज बनी। 2013 में झारखंड के चीफ जस्टिस के तौर पर पदोन्नति हुई। 2014 में सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बनी।


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