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पुनर्विचार याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट 6 फरवरी को करेगा सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने गत 28 सितंबर को 4-1 के बहुमत से फैसला सुनाते हुए मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं को प्रवेश की इजाजत दी थी।

By Manish NegiEdited By: Published: Thu, 31 Jan 2019 08:40 PM (IST)Updated: Thu, 31 Jan 2019 08:40 PM (IST)
पुनर्विचार याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट 6 फरवरी को करेगा सुनवाई
पुनर्विचार याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट 6 फरवरी को करेगा सुनवाई

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। केरल के सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं को प्रवेश की इजाजत देने वाले फैसले के खिलाफ दाखिल पुनर्विचार याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान पीठ छह फरवरी को सुनवाई करेगी।

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सुप्रीम कोर्ट ने गत 28 सितंबर को 4-1 के बहुमत से फैसला सुनाते हुए मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं को प्रवेश की इजाजत दी थी। कोर्ट ने 10 से 50 वर्ष की महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी को लिंग आधारित भेदभाव बताते हुए निरस्त कर दिया था। तीन दर्जन से ज्यादा पुनर्विचार याचिकाएं दाखिल कर कोर्ट के इस फैसले को चुनौती दी गई है।

कोर्ट ने पुनर्विचार याचिकाओं को स्वीकार करते हुए 22 जनवरी को सुनवाई की तारीख तय की थी। लेकिन फैसले पर अंतरिम रोक लगाने से इन्कार कर दिया था। 22 जनवरी को सुनवाई नहीं हो पाई क्योंकि पीठ की एक न्यायाधीश जस्टिस इंदू मल्होत्रा स्वास्थ्य ठीक नहीं होने के कारण उपलब्ध नहीं थीं।

गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने वेबसाइट पर नोटिस जारी कर छह फरवरी को मामले पर सुनवाई होने की सूचना दी है। नोटिस के मुताबिक, मामले पर मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस आरएफ नरीमन, एएम खानविलकर, डीवाई चंद्रचूड़ और इंदू मल्होत्रा की पीठ सुनवाई करेगी।

केरल का सबरीमाला मंदिर अयप्पा भगवान का है। इनके अनुयायियों का कहना है कि यहां विराजमान अयप्पा भगवान ब्रम्हचारी हैं और इसलिए 10 से 50 वर्ष की महिलाएं मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकतीं। माना जाता है कि इस आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी उनके मासिक धर्म के कारण है। सुप्रीम कोर्ट के 28 सितंबर के फैसले का अयप्पा अनुयायी भारी विरोध कर रहे हैं। मूल फैसला सुनाने वाली पीठ के अध्यक्ष जस्टिस दीपक मिश्रा अब सेवानिवृत हो चुके हैं इसलिए अब उनकी जगह नए मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई करने वाली पीठ की अगुवाई करेंगे। 

जस्टिस मल्होत्रा ने जताई थी फैसले में असहमति
28 सितंबर को संविधान पीठ ने चार-एक से दिए फैसले में पाबंदी को महिलाओं के साथ भेदभाव और उनके सम्मान व पूजा अर्चना के मौलिक अधिकार का हनन करने वाला कहा था। पीठ की एक सदस्य न्यायाधीश इंदू मल्होत्रा ने बहुमत से असहमति जताते हुए रोक के नियम को सही ठहराया था।


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