वैवाहिक दुष्कर्म के आपराधिकरण संबंधी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट नौ मई को करेगा सुनवाई
सैफी ने याचिका में वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध मानने और पति को दुष्कर्म के अपराध से छूट देने वाले प्राविधान आइपीसी की धारा 375 के अपवाद दो को रद करने के जस्टिस राजीव शकदर के फैसले का समर्थन किया गया है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। वैवाहिक दुष्कर्म के आपराधिकरण से संबंधित याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट नौ मई को सुनवाई करेगा। ये निर्देश प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने दी। सुप्रीम कोर्ट ने वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध बनाए जाने की मांग वाली याचिकाओं पर गत वर्ष 16 सितंबर को केंद्र सरकार से जवाब मांगा था।
खुशबू सैफी की भी एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित
दिल्ली हाई कोर्ट में याचिकाकर्ता खुशबू सैफी की भी एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, जिसमें हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई है। दिल्ली हाई कोर्ट ने पिछले साल 11 मई को इस मामले में खंडित फैसला सुनाया था। दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायाधीश राजीव शकदर ने पति को दुष्कर्म के अपराध से छूट देने वाली आइपीसी की धारा 375 के अपवाद दो को असंवैधानिक ठहरा दिया था, जबकि न्यायाधीश सी. हरिशंकर ने कानून को संविधान सम्मत ठहराया था।
क्या कहती है सैफी की याचिका
सैफी की याचिका में मुख्य मुद्दा आईपीसी की धारा 375 का अपवाद दो है, जो कहता है कि अगर कोई पति अपनी पत्नी से उसकी सहमति के बगैर संबंध बनाता है और पत्नी नाबालिग नहीं है तो वह दुष्कर्म नहीं माना जाएगा। सैफी ने याचिका में वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध मानने और पति को दुष्कर्म के अपराध से छूट देने वाले प्राविधान आइपीसी की धारा 375 के अपवाद दो को रद करने के जस्टिस राजीव शकदर के फैसले का समर्थन किया है और कानून की धारा को संविधानसम्मत ठहराने वाले जस्टिस सी. हरिशंकर के फैसले को चुनौती दी है।
जस्टिस शकदर ने फैसले में आइपीसी की धारा 375 के अपवाद दो को अभिव्यक्ति की आजादी और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का उल्लंघन करने वाला माना था, जबकि जस्टिस सी. हरिशंकर ने अपने विद्वान साथी न्यायाधीश से असहमति जताई थी।