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नए आइटी नियमों के खिलाफ दायर याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट मंगवाई जाएं, सरकार की सुप्रीम कोर्ट से अपील

केंद्र ने देश के विभिन्न हाई कोर्ट में नए सूचना प्रौद्योगिकी (आइटी) नियमों की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में स्थानांतरित करने की मांग को लेकर मंगलवार को शीर्ष अदालत का रुख किया।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Tue, 06 Jul 2021 08:25 PM (IST)Updated: Wed, 07 Jul 2021 12:26 AM (IST)
केंद्र ने नए आइटी नियमों को चुनौती देने वाली याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित करने की मांग की है।

नई दिल्ली, पीटीआइ। केंद्र ने देश के विभिन्न हाई कोर्ट में नए सूचना प्रौद्योगिकी (आइटी) नियमों की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित करने की मांग को लेकर मंगलवार को शीर्ष अदालत का रुख किया। सरकार की इस याचिका पर इसी हफ्ते सुनवाई होने की संभावना है। एक वरिष्ठ विधि अधिकारी ने इस बात की पुष्टि की।

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सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 को चुनौती देने वाली कई याचिकाएं दिल्ली हाई कोर्ट सहित विभिन्न हाई कोर्ट में लंबित हैं। हाई कोर्ट में लंबित याचिकाओं में फेसबुक, ट्विटर जैसी सोशल मीडिया फर्मों के साथ ही ओटीटी मंचों को विनियमित करने के उद्देश्य से लाए गए नए आइटी नियमों को चुनौती दी गई है।

नए आइटी नियमों के तहत भारतीय उपयोगकर्ताओं की शिकायतों पर कार्रवाई के लिए प्रमुख सोशल मीडिया कंपनियों में शिकायत अधिकारी की नियुक्ति जरूरी है। 

ट्विटर ने सोमवार को दिल्ली हाई कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल कर कहा कि वह नए आइटी नियमों के तहत एक अंतरिम मुख्य अनुपालन अधिकारी और एक अंतरिम स्थानीय शिकायत अधिकारी की नियुक्ति के अंतिम चरण में है। कंपनी ने कहा कि इस बीच एक शिकायत अधिकारी भारतीय उपभोक्ताओं की शिकायतें देख रहा है। 

नए आइटी नियम लागू नहीं करने पर इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म ट्विटर को दिल्‍ली हाईकोर्ट ने कड़ी फटकार लगाई है। दिल्ली हाई कोर्ट की न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने मंगलवार को दो टूक कहा कि अगली सुनवाई पर स्पष्ट जवाब लेकर आइए, वरना आपकी मुश्किलें बढ़ जाएंगी। पीठ ने अंतरिम आधार पर स्थानीय शिकायत अधिकारी (आरजीओ) की नियुक्ति के मामले में अधूरी जानकारी देने पर भी आपत्ति जताई। उक्त आरजीओ ने 21 जून को इस्तीफा दे दिया है।

अधिवक्ता अमित आचार्य की याचिका पर सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि ट्विटर ने केवल एक आरजीओ नियुक्त किया था। 31 मई को अदालत को दी गई जानकारी में यह नहीं बताया गया कि वह अधिकारी अंतरिम आधार पर था। अदालत ने पूछा कि जब आरजीओ ने 21 जून को इस्तीफा दे दिया तो फिर 15 दिनों में किसी अन्य अधिकारी की नियुक्ति क्यों नहीं की गई, जबकि पता था कि छह जुलाई को सुनवाई होनी है।

पीठ ने कहा कि अगर ट्विटर को लगता है कि वह जब तक चाहे समय ले सकता है तो यह भारत में नहीं होगा। अदालत इसकी कतई अनुमति नहीं देगी। अदालत की तख्त टिप्पणी के बाद ट्विटर की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता साजन पुवैया ने स्वीकार किया कि वर्तमान में माइक्रो ब्लागिंग साइट की ओर से कोई आरजीओ या नोडल अधिकारी नियुक्त नहीं किया गया है लेकिन नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है।


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