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Arnab Goswami Case : सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अर्नब गोस्वामी को तलोजा जेल से रिहा किया गया

Arnab Goswami Case सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद रिपब्लिक टीवी के संपादक अर्नब गोस्वामी को बुधवार शाम को तलोजा जेल से रिहा किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने अर्नब गोस्वामी और अन्य सह आरोपियों को अंतरिम जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है।

By Manish PandeyEdited By: Published: Wed, 11 Nov 2020 09:33 AM (IST)Updated: Wed, 11 Nov 2020 11:38 PM (IST)
Arnab Goswami Case : सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अर्नब गोस्वामी को तलोजा जेल से रिहा किया गया
अर्नब गोस्वामी को बुधवार शाम को तलोजा जेल से रिहा किया गया।

नई दिल्ली, जेएनएन। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद रिपब्लिक टीवी के संपादक अर्नब गोस्वामी को बुधवार शाम को तलोजा जेल से रिहा किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने अर्नब गोस्वामी और अन्य सह आरोपियों को अंतरिम जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था। पत्रकारों से बातचीत में अर्नब गोस्वामी ने कहा कि यह एक सरकार द्वारा किया गया गैरकानूनी गिरफ्तारी थी जो यह नहीं समझता है कि यह स्वतंत्र मीडिया को वापस नहीं ला सकता है। अगर उद्धव ठाकरे को मेरी पत्रकारिता से कोई समस्या है, तो उन्हें मुझे साक्षात्कार देना चाहिए। मैं उनसे चुनौती देता हूं कि वे उन मुद्दों पर बहस करें, जिनसे मैं असहमत हूं। 

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न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि अर्नब गोस्वामी और दो अन्य आरोपियों को 50,000 रुपये के बांड पर अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने संबंधित जेल अथारिटी और रायगढ़ के एसपी को तत्काल आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट का अंतरिम जमानत की मांग ठुकराना गलत था। अंतरिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा था कि अगर राज्य सरकारें व्यक्तियों को टारगेट करती हैं, तो उन्हें पता होना चाहिए कि नागरिकों की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए शीर्ष अदालत है। कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से इस सब (अर्नब के टीवी पर तानो) को नजरअंदाज करने की नसीहत दी।

सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि हमारा लोकतंत्र असाधारण रूप से लचीला है, महाराष्ट्र सरकार को इस सब (अर्नब के टीवी पर ताने) को नजरअंदाज करना चाहिए। इस दौरान कोर्ट के अर्नब गोस्वामी की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे (Harish Salve) ने मामले की जांच सीबीआइ (CBI) के कराने की मांग की है। उन्होंने कहा कि  अगर कोई व्यक्ति महाराष्ट्र में आत्महत्या करता है और सरकार को दोषी ठहराता है, तो क्या मुख्यमंत्री को गिरफ्तार किया जाएगा?

सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, 'यदि हम एक संवैधानिक न्यायालय के रूप में व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा नहीं करेंगे, तो कौन करेगा?... अगर कोई राज्य किसी व्यक्ति को जानबूझकर टारगेट करता है, तो एक मजबूत संदेश देने की आवश्यकता है। हमारा लोकतंत्र असाधारण रूप से लचीला है।

अर्नब ने बांबे हाई कोर्ट द्वारा जमानत से इन्कार किए जाने को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। बांबे हाई कोर्ट ने इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाईक को आत्महत्या के लिए कथित रूप से उकसाने के मामले में अर्नब और दो अन्य लोगों को अंतरिम जमानत देने से इन्कार करते हुए उन्हें राहत के लिए स्थानीय अदालत जाने को कहा था।

अर्नब की जमानत याचिका पर बहस के दौरान हरीश साल्वे ने कहा कि द्वेष और तथ्यों को अनदेखा करते हुए राज्य की शक्तियों का दुरुपयोग किया जा रहा है। इस मामले में मई 2018 में एफआइआर दर्ज की गई थी। दोबारा जांच करने के लिए शक्तियों का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है। 

बता दें कि अलीबाग पुलिस अर्नब की पुलिस हिरासत चाहती है। इसकी मांग करते हुए अभियोजन पक्ष के विशेष सरकारी वकील पी घरात ने कहा कि अर्नब की गिरफ्तारी जरूरी थी, क्योंकि अन्वय की आत्महत्या से पहले लिखे गए पत्र में उनका नाम था। यदि गिरफ्तारी जरूरी नहीं होती, तो मजिस्ट्रेट न्यायिक हिरासत में उनसे पूछताछ की अनुमति नहीं देते।

अर्नब के वकीलों की ओर से मंगलवार दोपहर ही रायगढ़ सत्र न्यायालय में जमानत अर्जी दाखिल कर दी गई थी। अर्जी में अर्नब ने खुद को निर्दोष बताते हुए कहा है कि जिस आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में उन्हें गिरफ्तार किया गया है, उसकी पूरी जांच पहले हो चुकी है। रायगढ़ पुलिस इस मामले में 2019 में अपनी ए-समरी (क्लोजर रिपोर्ट) रायगढ़ मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में जमा कर चुकी है। जमानत अर्जी में कहा गया है कि आवेदक जांच एजेंसियों से पूर्ण सहयोग करने को तैयार है।

अर्नब ने स्वीकार किया है कि अन्वय की कंपनी कानकार्ड एवं उनकी कंपनी एआरजी के बीच व्यावसायिक करार हुआ था। इसके तहत कानकार्ड द्वारा उनके स्टूडियो में कुछ काम किया जाना बाकी था। इसलिए एआरजी ने कानकार्ड के 74,23,014 रुपयों का भुगतान रोक दिया था। लेकिन यह मामला दो कंपनियों के बीच था।


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