सुप्रीम कोर्ट ने 'समलैंगिकता' मामले की सुनवाई टालने की मांग ठुकराई
वर्ष 2009 में दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी में नहीं रखने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने दरकिनार कर दिया था।
नई दिल्ली, जेएनएन। समलैंगिकता को अपराध मानने वाली भारतीय दंड संहिता(आईपीसी) की धारा 377 पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ मंगलवार यानि कल से सुनवाई करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई टालने की मांग ठुकरा दी है। मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2013 में समलैंगिक यौन संबंधों को अपराध की श्रेणी में रखने का फैसला बहाल कर दिया था।
बता दें कि समलैंगिक यौन संबंधों सहित चार प्रमुख मामलों को सुनने के लिए संविधान पीठ का पुनर्गठन किया गया है। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के नेतृत्व वाली संविधान पीठ में आरएफ नरीमन, एएम खानविल्कर, डीवाई चंद्रचूड़ और इंदु मल्होत्रा होंगी। सभी मामलों पर 10 जुलाई से सुनवाई शुरू होगी।
दरअसल, वर्ष 2009 में दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी में नहीं रखने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने दरकिनार कर दिया था। इस पर समलैंगिक संबंधों का समर्थन करने वाले समुदायों ने फैसले की पुनर्समीक्षा करने के लिए याचिका दायर करने के साथ ही क्यूरेटिव याचिका भी दायर की थी। क्यूरेटिव (उपचारात्मक) याचिका की सुनवाई नहीं होने पर खुली अदालत में सुनवाई के संबध में याचिका दायर की गई थी। इसको सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी दे दी थी। इसके बाद धारा-377 को अपराध की श्रेणी में नहीं रखने के संबंध में कई और याचिकाएं दायर की गई।