सुप्रीमकोर्ट ने 10 राज्यों के मुख्य सचिवों को किया तलब
बुधवार को ये आदेश न्यायमूर्ति मदन बी. लोकूर की अध्यक्षता वाली पीठ ने गैर सरकारी संस्था स्वराज अभियान की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिए।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीमकोर्ट ने सूखा पीडि़तों को राहत देने के आदेश का पालन न करने पर हरियाणा सहित 10 राज्यों के मुख्य सचिवों को तलब किया है। मुख्य सचिव 26 अप्रैल को पेश होकर कोर्ट को बताएंगे कि आदेश पर अमल क्यों नहीं हुआ।
बुधवार को ये आदेश न्यायमूर्ति मदन बी. लोकूर की अध्यक्षता वाली पीठ ने गैर सरकारी संस्था स्वराज अभियान की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिए। कोर्ट ने निर्देश दिया कि हरियाणा, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, तेलंगाना, बिहार और झारखंड के मुख्य सचिव 26 अप्रैल को पेश होकर बताएं कि कोर्ट के आदेश का पालन क्यों नहीं हुआ। कोर्ट ने इन राज्यों के मुख्य सचिवों को हलफनामा दाखिल कर ये भी बताने को कहा है कि सूखा पीडि़त लोगों को खाद्य सुरक्षा कानून के तहत राहत देने की क्या प्रक्रिया अपनाई गई है।
कोर्ट ने केन्द्र सरकार को भी चार सप्ताह में हलफनामा दाखिल कर मनरेगा में काम और भुगतान का ब्योरा देने को कहा है। इसके अलावा केंद्र सरकार हलफनामें में यह भी बताएगी कि खाद्य सुरक्षा कानून के तहत राज्यों को अनाज का आवंटन एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर होगा या उसकी दर खाद्य सुरक्षा कानून में तय दर से होगी। कोर्ट ने इस मामले में रिजर्व बैंक आफ इंडिया को भी पक्षकार बना लिया है। मामले पर 26 अप्रैल को फिर सुनवाई होगी।
इससे पहले एक अन्य याचिका पर बहस करते हुए वकील प्रशान्त भूषण ने कहा कि राज्य खाद्य सुरक्षा कानून में दी गई प्रक्रिया को ठीक लागू नहीं कर रहे हैं। कानून कहता है कि राज्य फूड कमीशन बनाएंगे और जिला स्तर पर शिकायत निवारण अधिकारी नियुक्त करेंगे। लेकिन राज्यों ने ऐसा नहीं किया है। कई राज्यों ने तो उपभोक्ता आयोगों को ही फूड कमीशन और जिला कलक्टर को शिकायत निवारण अधिकारी बना दिया है।
उन्होंने कहा कि कानून के मुताबिक जिला कलक्टर ही राशन आदि की आपूर्ति करता है ऐसे में शिकायत तो उसी के खिलाफ होगी और उसे ही शिकायत अधिकारी बना दिया गया है। भूषण ने मनरेगा में भी गड़बड़ी का आरोप लगाया। भूषण ने कहा कि खाद्य सुरक्षा कानून के तहत लोगों तक राशन नहीं पहुंच रहा है क्योंकि राज्यों ने राशन उठाया ही नहीं है। विवाद इस पर है कि केन्द्र सरकार खाद्य सुरक्षा कानून के तहत राज्यों को राशन एमएसपी पर दे रही है जबकि राज्य केंद्र से खाद्य सुरक्षा कानून में दी गई दर पर राशन देने की मांग कर रहे हैं।
भूषण ने कोर्ट से आरबीआई को मामले में पक्षकार बनाए जाने की मांग करते हुए कहा कि आरबीआइ का नियम कहता है कि सूखा प्रभावित क्षेत्र में कुर्की बंद हो जाएगी। पुराना कर्ज स्थगित हो जाएगा और नये कर्ज पर कोई पाबंदी नहीं होगी लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं हो रहा है। जबकि केन्द्र की ओर से पेश अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने आरोपों का खंडन किया और कहा कि आरबीआइ के नियमों का पालन हो रहा है। सरकार जो कर सकती है उससे ज्यादा कर रही है। उन्होंने कहा कि वे हलफनामा दाखिल कर मनरेगा का ब्योरा कोर्ट को देंगे। इस पर कोर्ट ने उन्हें खाद्य सुरक्षा कानून में राज्यों को अनाज आवंटन पर भी हलफनामे में ब्योरा देने को कहा।