सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ के आदिवासियों को वन भूमि से बेदखली के खिलाफ याचिका दूसरी पीठ को सौंपी
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने दाखिल याचिका को जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ के पास भेज दिया।
नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारियों को वन में रहने वाले किसी भी व्यक्ति को बेदखल नहीं करने का निर्देश देने की मांग करने वाली याचिका को दूसरी पीठ को सौंप दिया है। याचिका में आदिवासियों की जमीन का कथित रूप से गैरकानूनी रूप से अधिग्रहण की जांच के लिए एसआइटी गठित करने की भी मांग की गई है।
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने छत्तीसगढ़ की तारिका तरंगिनी लारका की ओर से पांच मार्च को दाखिल याचिका को जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ के पास भेज दिया।
यह पीठ पहले से ही इस तरह की याचिकाओं की सुनवाई कर रही है। 13 फरवरी को शीर्ष कोर्ट ने 21 राज्यों को 11.8 लाख गैर-कानूनी रूप से रहने वाले आदिवासियों को बेदखल करने का आदेश दिया था। सोमवार को पीठ ने दूसरी पीठ को याचिका सौंपते हुए कहा कि इस आदेश पर संबंधित पीठ रोक लगा चुकी है।
अपनी याचिका में लारका ने आरोप लगाया है कि छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के तमनार में अधिकारियों ने आदिवासी भूमि का बड़ा इलाका हथिया कर बाहरी लोगों को दे दिया है।