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भारत विरोधी नारे लिखकर खराब की गई 30 करोड़ की भारतीय मुद्रा, बैंक में बदले जाने को लेकर कोर्ट सख्त

कश्मीरी ग्रेफ्रिटी नामक अलगाववादी ग्रुप ने 30 करोड़ की भारतीय मुद्रा पर भारत विरोधी नारे लिख कर और मुहर लगा कर उन्हें विरूपित किया था।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Tue, 07 Jan 2020 08:59 PM (IST)Updated: Tue, 07 Jan 2020 08:59 PM (IST)
भारत विरोधी नारे लिखकर खराब की गई 30 करोड़ की भारतीय मुद्रा, बैंक में बदले जाने को लेकर कोर्ट सख्त
भारत विरोधी नारे लिखकर खराब की गई 30 करोड़ की भारतीय मुद्रा, बैंक में बदले जाने को लेकर कोर्ट सख्त

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी समूहों द्वारा भारत विरोधी नारे लिख कर खराब (विरूपित) की गई 30 करोड़ की भारतीय मुद्रा बदले जाने के मामले की जांच की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से गौर करके दो सप्ताह में सूचित करने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि यह राष्ट्रीय महत्व का मुद्दा हो सकता है। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने सतीश भारद्वाज की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिये।

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आरबीआई की शाखा ने बदली थी विरूपित की गई 30 करोड़ की भारतीय मुद्रा

जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि भारतीय रिजर्व बैंक की जम्मू कश्मीर शाखा ने विरूपित की गई 30 करोड़ की भारतीय मुद्रा बदली थी जो कि नियमों के मुताबिक सही नहीं है।

अलगाववादी ग्रुप ने 30 करोड़ की भारतीय मुद्रा पर भारत विरोधी नारे लिख कर उसे किया था विरूपित

याचिका में कहा गया है कि कश्मीरी ग्रेफ्रिटी नामक अलगाववादी ग्रुप ने 30 करोड़ की भारतीय मुद्रा पर भारत विरोधी नारे लिख कर और मुहर लगा कर उन्हें विरूपित किया था। अलगाववादी ग्रुप ने सोशल मीडिया में फेसबुक पर पोस्ट करके बताया था कि ग्रुप ने मई 2013 से अगस्त 2013 के बीच 30 करोड़ की भारतीय मुद्रा को विरूपित करने की बात कही थी।

विरूपित नोटों को बैंक नहीं बदल सकता, सीबीआइ जांच की मांग

याचिकाकर्ता का कहना है कि नियमों के मुताबिक विरूपित नोटों को बैंक नहीं बदल सकता। आरबीआई की जम्मू-कश्मीर शाखा ने ऐसे नोटों को बदला था इस मामले की कोर्ट की निगरानी में सीबीआइ से जांच कराई जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा- केंद्र सरकार दे दो सप्ताह में जबाव

याचिकाकर्ता का कहना है कि उसने इस बारे में आरबीआई से पूछा था और सीबीआइ को भी बताया था, लेकिन उसे कोई जवाब नहीं मिला जिसके बाद उसने यह याचिका दाखिल की है। मामले पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अदालत कक्ष में मौजूद सालिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि वह मामले पर गौर करके दो सप्ताह में कोर्ट को बताएं। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह याचिका की प्रति सालिसिटर जनरल को दे।


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