एचडीआइएल की संपत्ति बेचने पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, हाई कोर्ट ने दिए थे वसूली के आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी जिसमें रियल एस्टेट कंपनी हाउसिंग डेवलपमेंट एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड की संपत्ति को बेचने का निर्देश दिया गया था।
नई दिल्ली, एएनआइ। रियल एस्टेट कंपनी हाउसिंग डेवलपमेंट एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (HDIL) को बड़ी राहत देते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बांबे हाई कोर्ट के एक आदेश पर रोक लगा दी, जिसने कंपनी की संपत्ति को बेचने का निर्देश दिया था। पंजाब और महाराष्ट्र सहकारी बैंक (PMC) के बकाए का भुगतान करने के लिए हाई कोर्ट ने इसकी संपत्ति को बेचने का निर्देश दिया था।
मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, न्यायमूर्ति बीआर गवई और सूर्य कांत की खंडपीठ ने सरोश दमानिया सहित अन्य पक्षों को भी नोटिस जारी किया। उन्होंने पीएमसी बैंक के खाताधारकों के बकाए का भुगतान सुनिश्चित करने के लिए बांबे उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। शीर्ष अदालत भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा बांबे हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
इससे पहले, बांबे हाई कोर्ट ने बकाए की वसूली के लिए पीएमसी बैंक घोटाले में शामिल एचडीआइएल की संपत्तियों को बेचने के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया था। यह घोटाला सितंबर 2019 में सामने आया, जब रिजर्व बैंक को पता चला कि बैंक ने कथित रूप से दिवालिया एचडीआइएल के 4,355 करोड़ रुपये से अधिक छिपाने के लिए फर्जी खाते खोले थे।
बाम्बे हाई कोर्ट ने बीते दिनों अपने फैसले में कहा था कि एचडीआइएल और उसके प्रमोटरों राकेश वधावन और सारंग वधावन को पंजाब एवं महाराष्ट्र कोआपरेटिव (पीएमसी) बैंक का कर्ज चुकाना होगा। ऐसा किया जाना बैंक और वहां अपना धन जमा करने वालों के हित में होगा। जस्टिस रंजीत मोरे और जस्टिस एसपी तावड़े की पीठ ने यह भी कहा था कि पीएमसी बैंक और जमाकर्ताओं के हित में एचडीआइएल और वधावन की संपत्ति जल्द से जल्द बेची जानी चाहिए। वकील सरोश दमनिया द्वारा दाखिल याचिका पर हाईकोर्ट ने उक्त आदेश जारी किया था। याचिका में ईओडब्ल्यू और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा जब्त की गई संपत्तियों का तुरंत निपटारा करने और पीएमसी बैंक के जमाकर्ताओं का शीघ्र भुगतान कराने का निर्देश देने की मांग की थी।