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नारायण साई को SC से झटका, दो हफ्ते का फरलो देने का गुजरात HC का आदेश खारिज

गुजरात सरकार ने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी जिसे उच्चतम न्यायालय ने स्वीकर कर लिया। कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए नारायण साईं की दो हफ्ते का फरलो रद कर दिया है।

By Neel RajputEdited By: Published: Wed, 20 Oct 2021 11:58 AM (IST)Updated: Wed, 20 Oct 2021 11:58 AM (IST)
गुजरात सरकार ने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर की थी याचिका

नई दिल्ली, एएनआइ। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाई कोर्ट के आदेश को खारिज करते हुए आसाराम बापू के बेटे नारायण साई का दो हफ्ते का फरलो रद कर दिया है। गुजरात सरकार ने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसे उच्चतम न्यायालय ने स्वीकर कर लिया। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने हाई कोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए नारायण साईं का दो हफ्ते का फरलो रद कर दिया है। बता दें कि नारायण साई दुष्कर्म मामले में दोषी है।

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शीर्ष अदालत ने कहा कि फरलो पूर्ण अधिकार नहीं है और यह विभिन्न कारकों पर निर्भर करता है। कोर्ट ने कहा कि साई को फरलो देने की बात पर जेल अधीक्षक की तरफ से नकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है क्योंकि उनके सेल से एक मोबाइल फोन मिला था।

बता दें कि दुष्कर्म के एक मामले में नारायण साई उम्रकैद की सजा काट रहे हैं। 26 अप्रैल, 2019 को नारायण साई को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (दुष्कर्म), 323 (अप्राकृतिक अपराध), 506-2 (आपराधिक धमकी) और 120-बी (साजिश) के तहत दोषी ठहराया गया था। इस मामले में सूरत की एक अदालत ने उन्हें दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।

क्या होता है फरलो ?

फरलो का मतलब जेल से मिलने वाली छुट्टी से होता है। यह पैरोल से थोड़ा अलग होता है। फरलो पारिवारिक, व्यक्तिगत और सामाजिक जिम्मेदारियां पूरी करने के लिए दी जाती है। यह एक साल में तीन बार मिल सकती है। मतलब कोई कैदी एक साल में तीन बार फरलो ले सकता है। पैरोल के लिए कारण बताना आवश्यक होता है। वहीं, फरलो सजायाफ्ता कैदियों के मानसिक संतुलन को बनाए रखने और समाज से संबंध जोड़ने के लिए दिया जाता है। पैरोल की अवधि एक महीने तक बढ़ाई जा सकती है जबकि फरलो ज्यादा से ज्यादा 14 दिन के लिए दिया जा सकता है।


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