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पालघर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उद्धव सरकार से मांगी जांच रिपोर्ट, चार हफ्ते में जवाब देने के निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने पालघर मामले में महाराष्‍ट्र की उद्धव ठाकरे की सरकार को जांच रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। मामले में पांच और लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Fri, 01 May 2020 10:52 PM (IST)Updated: Fri, 01 May 2020 10:52 PM (IST)
पालघर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उद्धव सरकार से मांगी जांच रिपोर्ट, चार हफ्ते में जवाब देने के निर्देश

नई दिल्ली, पीटीआइ। सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के पालघर में 16 अप्रैल को दो साधुओं सहित तीन व्यक्तियों की पीट-पीट कर हत्या किए जाने के मामले में शुक्रवार को राज्य की उद्धव ठाकरे की सरकार को जांच रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। इस बीच, इस मामले में पांच और लोगों को गिरफ्तार करके कोर्ट में पेश किया गया है। महाराष्ट्र के पुलिस अधिकारियों ने बताया कि अब तक इस मामले में 115 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। इनमें नौ आरोपित नाबालिग हैं और उन्हें किशोर सुधार गृह भेज दिया गया है।

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जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस संजीव खन्ना की खंडपीठ ने शुक्रवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग से इस मामले में एक याचिका पर सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार को तलब किया है। महाराष्ट्र सरकार को चार सप्ताह के भीतर अपनी जांच रिपोर्ट पेश करनी है। इस याचिका में कहा गया है कि हिंसक भीड़ ने दो साधुओं सहित तीन व्यक्तियों की पीट-पीट कर हत्या करना पुलिस की विफलता का नतीजा है क्योंकि लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन करके यह भीड़ एकत्र हुई थी।

शीर्ष अदालत ने इस हत्याकांड की जांच पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया और याचिकाकर्ता को निर्देश दिया कि वह इसकी एक प्रति महाराष्ट्र सरकार के वकील को सौंपे। न्यायालय ने कहा कि राज्य सरकार चार सप्ताह के भीतर अपनी जांच रिपोर्ट दाखिल करेगी।

यह याचिका शशांक शेखर झा ने अधिवक्ता राशि बंसल के माध्यम से दायर की है। याचिका में इस हत्याकांड की जांच शीर्ष अदालत की ओर से गठित विशेष जांच दल या फिर शीर्ष अदालत के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में किसी न्यायिक आयोग से कराने का अनुरोध किया गया है। इसी तरह, याचिका में सारा मामला सीबीआइ को सौंपने और इस घटना को रोकने में विफल रहने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने मीडिया की खबरों का हवाला दिया और दावा किया कि इस घटना में पुलिस की भूमिका संदिग्ध रही है क्योंकि उसने साधुओं को बचाने के लिए बल का प्रयोग नहीं किया। याचिका में आरोप लगाया गया है कि यह पूरी घटना पूर्व नियोजित थी और इसमें पुलिस की संलिप्तता भी हो सकती है।

इस बीच, आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि मामले के कुछ आरोपित गांव से भागकर आसपास के घने जंगलों में छिप गए थे जिन्हें ड्रोन के जरिये पुलिस ने ढूंढ़ निकाला। इनमें से पांच गिरफ्तार किए गए पांच आरोपितों को शुक्रवार को अदालत के समक्ष पेश किया गया है। साथ ही 13 मई तक के लिए इनकी सीआइडी कस्टडी मांग ली है।

बता दें कि पालघर जिले में चोरों की अफवाह के बीच दो भगवा धारी साधुओं महाराज कल्पवृक्षगिरी (70), सुशीलगिरी महाराज (35) और उनके टैक्सी ड्राइवर निलेश तेलगड़े (30) की नृशंस हत्या कर दी थी। 16 अप्रैल को गुरुवार की रात ये लोग अपने गुरु के देहावसान पर उनके अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए मुंबई के कांदीवली से कार में सवार होकर गुजरात के सूरत जा रहे थे। तब महाराष्ट्र के सीमावर्ती जिले पालघर के गढ़चिंचिले गांव के लोगों ने इस वारदात को अंजाम दिया। जिसका वीडियो कई दिन बात वायरल होने पर यह घटना दुनिया के सामने आई थी।


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