अवमानना याचिका को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से मांगा जवाब
आदेश पर अमल न होने का मुद्दा उठाने वाली अवमानना याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से जवाब मांगा है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। उम्मीदवारों के आपराधिक रिकार्ड व संपत्ति आदि का ब्योरा मीडिया में प्रकाशित प्रचारित करने के आदेश पर अमल न होने का मुद्दा उठाने वाली अवमानना याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से जवाब मांगा है। कोर्ट ने भाजपा नेता और वकील अश्वनी कुमार उपाध्याय की अवमानना याचिका में उठाए गए मामले को गंभीर बताते हुए याचिका में प्रतिपक्षी बनाए गए तीन चुनाव उपायुक्तों को नोटिस जारी कर एक सप्ताह में जवाब मांगा है।
ये आदेश न्यायमूर्ति आरएफ नारिमन व विनीत शरण की पीठ ने शुक्रवार को याचिका पर सुनवाई के बाद दिये। याचिका में उपाध्याय ने कहा है कि सरकार ने गत वर्ष 25 सितंबर के उस आदेश का पालन नहीं किया है जिसमे कोर्ट ने कहा था कि गंभीर और जघन्य अपराधों में अदालत से आरोप तय होने वाले लोगों को चुनाव लड़ने से रोकने और उनकी सदस्यता खत्म करने के लिए सरकार सख्त कानून बनाए। इस याचिका में उपाध्याय ने कैबिनेट सचिव और विधि मामलों के सचिव को प्रतिपक्षी बनाया है।
उपाध्याय की दोनों अवमानना याचिकाएं वास्तव में सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की संविधानपीठ के गत वर्ष 25 सितंबर के निर्देशों पर अमल न होने के मामले में हैं। 25 सिंतबर के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि प्रत्येक उम्मीदवार नामांकन भरने के बाद कम से कम तीन बार अखबार में अपने आपराधिक ब्योरे व अन्य जानकारियों वाले हलफनामे का ब्योरा प्रकाशित कराएंगे और इसके अलावा समाचार चैनल मे भी इसे प्रसारित कराएंगे ताकि मतदाताओं को उम्मीदवारों के बारे मे जानकारी हो सके।
ये काम राजनैतिक दल भी करेंगे। कोर्ट ने यह भी कहा था कि साथ ही राजनैतिक दल अपनी वेबसाइट पर उम्मीदवार का यह ब्योरा अपलोड करेंगे। उपाध्याय ने अवमानना याचिका में आरोप लगाया है कि कोर्ट के इस आदेश का पिछले दिनों हुए पांच विधानसभा चुनावों में ठीक से पालन नहीं हुआ है। उनका कहना है कि चुनाव आयोग ने इस बारे में स्पष्ट दिशानिर्देश जारी कर यह नहीं बताया है कि उम्मीदवार किन अखबारों में ब्योरा प्रकाशित कराएंगे और किन समाचार चैनल में किस समय ब्योरा प्रसारित किया जाएगा।
शुक्रवार को इस याचिका पर सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने कहा कि आयोग अपना जवाब दाखिल करेगा। कोर्ट ने उनसे एक सप्ताह मे जवाब देने को कहा।
दूसरी जिस याचिका में कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है उसमें उपाध्याय ने राजनीति का अपराधीकरण रोकने के लिए कड़ा कानून बनाने के आदेश पर अमल न होने का आरोप लगाया है।