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सुप्रीम कोर्ट ने जगन्नाथ मंदिर में श्रद्धालुओं की परेशानियों पर मांगी रिपोर्ट

ये आदेश न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल व न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अवकाशकालीन पीठ मृणालिनी पाधी की याचिका पर सुनवाई करते हुए जारी किये।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Fri, 08 Jun 2018 10:37 PM (IST)Updated: Fri, 08 Jun 2018 10:37 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ने जगन्नाथ मंदिर में श्रद्धालुओं  की परेशानियों पर मांगी रिपोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने जगन्नाथ मंदिर में श्रद्धालुओं की परेशानियों पर मांगी रिपोर्ट

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने पुरी के जगन्नाथ मंदिर में अव्यवस्था, गंदगी और श्रद्धालुओं की परेशानियों व सेवकों द्वारा उनके उत्पीड़न को गंभीरता से लिया है। कोर्ट ने मामले पर विस्तृत विचार का मन बनाते हुए पुरी के जिला जज से श्रद्धालुओं की दिक्कतों उनके उत्पीड़न और मंदिर में कुप्रबंधन पर रिपोर्ट मांगी है। कोर्ट ने इस संबंध में कई दिशा निर्देश जारी किये हैं।

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ये आदेश न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल व न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अवकाशकालीन पीठ मृणालिनी पाधी की याचिका पर सुनवाई करते हुए जारी किये। पीठ ने वरिष्ठ वकील गोपाल सुब्रमण्यम को न्यायमित्र नियुक्त करते हुए मामले को 5 जुलाई को फिर सुनवाई के लिए लगाने का आदेश दिया है। याचिका में पुरी के जगन्नाथ मंदिर में लोगों की परेशानी, मंदिर सेवकों द्वारा श्रद्धालुओं के उत्पीड़न, मंदिर के चारो ओर साफ सफाई और अतिक्रमण का मुद्दा उठाया गया है। साथ ही मंदिर प्रबंधन में खामियां है और पूजा के व्यवसायीकरण की बात कही गई है।

पीठ ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं कि तीर्थ स्थलों का उचित प्रबंधन लोगों से जुड़ा महत्वपूर्ण मुद्दा है। ये केन्द्र धार्मिक, सामाजिक, ऐतिहासिक और वास्तुकला महत्व के हैें और देश की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतिनिधित्व करते हैं। यहां पर लाखों लोग जाते हैं जो न सिर्फ पर्यटन बल्कि श्रद्धा भक्ति के लिए जाते है और इस स्थान के महत्व के लिए अच्छा खासा चढ़ावा चढ़ाते हैं। कोर्ट ने कहा कि श्रद्धालुओं का उत्पीड़न रुकना चाहिए। वे निर्बाध आना जाना और पूजा अर्चना कर सकें।

कोर्ट ने पुरी के जिला जज से श्रद्धालुओं को होने वाली परेशानियों, उनके उत्पीड़न और प्रबंधन की खामियों पर तथ्यपरक रिपोर्ट और सुझाव मांगे हैं। जिला जज को 30 जून तक अंतरिम रिपोर्ट देने को कहा है। जिला जज इस संबंध में कलेक्टर और प्रशासक की मदद ले सकते हैं और इस मुद्दे पर पूर्व की रिपोर्टो पर भी विचार कर सकते हैं।

सीसीटीवी कैमरों की हो निगरानी

कोर्ट ने प्रशासक को आदेश दिया है कि वह मंदिर परिसर में पहले से लगे सीसीटीवी कैमरों की समीक्षा करें और उचित स्थानों पर और सीसीटीवी कैमरे लगवाएं। इनके फुटेज एक स्वतंत्र कमेटी समय समय पर देखे और हर महीने जिला जज पुरी को इस पर रिपोर्ट दे ताकि जिला जज जरूरी होने पर निर्देश जारी कर सकें।

सेवक नहीं लेंगे श्रद्धालुओं से चढ़ावा

पीठ ने प्रशासक से कहा है कि वह सुनिश्चित करे कि सेवक या पुजारी श्रद्धालुओं से सीधे चढ़ावा नहीं लेंगे। चढ़ावा या तो हुंडी में जाएगा या फिर उसके उचित उपयोग का लेखाजोखा रखा जाएगा। इसमें सीसीटीवी फुटेज या कोई अन्य तरीका अपनाया जा सकता है।

अन्य तीर्थ स्थलों के प्रबंधन का हो अध्यन

कोर्ट ने उड़ीसा सरकार को आदेश दिया है कि वह तत्काल एक कमेटी गठित करे जो कि अन्य महत्वपूर्ण तीर्थो जैसे वैष्णों देवी, सोमनाथ मंदिर, अमृतसर का स्वर्ण मंदिर, तिरुपति मंदिर और कर्नाटक के धर्मस्थल मंदिर की प्रबंधन योजनाओं का अध्ययन करे और जरूरी बदलाव के सुझाव दे। इस कमेटी को भी 30 जून तक अंतरिम रिपोर्ट देने को कहा है।

अन्य तीर्थो के बारे सूचना एकत्र करने के लिए केन्द्र बनाए कमेटी

कोर्ट ने कहा कि जगन्नाथ मंदिर जैसे मुद्दे अन्य तीर्थ स्थलों में भी हो सकते हैं। केन्द्र सरकार एक कमेटी गठित करे जो कि अन्य तीर्थ स्थलों के बारे में सूचना एकत्र करे ताकि श्रद्धालुओं के हित में वहां की स्थिति की भी जरूरी समीक्षा की जा सके।


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