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सुप्रीम कोर्ट ने मांगा चीता कार्यबल के विशेषज्ञों का विवरण, केंद्र सरकार को दिया दो हफ्ते का समय

शीर्ष अदालत केंद्र सरकार की ओर से दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें अदालत से यह निर्देश देने का अनुरोध किया था कि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के लिए अब विशेषज्ञ समिति से दिशा-निर्देश और सलाह लेने की जरूरत और अनिवार्यता नहीं है।

By Jagran NewsEdited By: Piyush KumarPublished: Tue, 28 Mar 2023 10:04 PM (IST)Updated: Tue, 28 Mar 2023 10:04 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ने मांगा चीता कार्यबल के विशेषज्ञों का विवरण, केंद्र सरकार को दिया दो हफ्ते का समय
सुप्रीम कोर्ट ने चीता कार्यबल में शामिल विशेषज्ञों का योग्यता और अनुभव जैसा विवरण तलब किया।

नई दिल्ली, पीटीआइ। मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) में नामीबिया से लाए गए चीतों में से एक की मृत्यु होने के अगले ही दिन मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने चीता कार्यबल में शामिल विशेषज्ञों का योग्यता और अनुभव जैसा विवरण तलब किया है। 'साशा' नाम की साढ़े चार वर्ष की मादा चीते की किडनी की बीमारी के कारण सोमवार को मौत हो गई।

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दो सप्ताह के भीतर विवरण देने के आदेश

उसे करीब छह महीने पहले ही लाया गया था। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ ने केंद्र सरकार से कार्यबल में शामिल चीता प्रबंधन विशेषज्ञों, उनके अनुभव और योग्यता आदि के संबंध में दो सप्ताह के भीतर विवरण देने को कहा है।

शीर्ष अदालत केंद्र सरकार की ओर से दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें अदालत से यह निर्देश देने का अनुरोध किया था कि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के लिए अब विशेषज्ञ समिति से दिशा-निर्देश और सलाह लेने की जरूरत और अनिवार्यता नहीं है।

अफ्रीकी चीतों को लाए जाने पर एनटीसीए का करेगी मार्गदर्शन

इस विशेषज्ञ समिति का गठन सुप्रीम कोर्ट के 28 जनवरी, 2020 के आदेश पर किया गया था। आदेश पारित करते हुए अदालत ने तब कहा था कि वन्यजीव संरक्षण के पूर्व निदेशक एमके रंजीत सिंह, उत्तराखंड में मुख्य वन संरक्षक व वन्यजीव प्रशासन धनंजय मोहन और पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में डीआइजी (वन्यजीव) की सदस्यता वाली तीन सदस्यीय समिति भारत में अफ्रीकी चीतों को लाए जाने पर एनटीसीए का मार्गदर्शन करेगी।

सरकार ने भारत में चीतों को लाने के लिए वैज्ञानिक कार्ययोजना बनाई: ऐश्वर्य भाटी

एनजीओ 'सेंटर फार एंवायरमेंट ला डब्ल्यूडब्ल्यूएफ' की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांतो चंद्र सेन ने कहा कि चीता कार्यबल में चीतों का कोई विशेषज्ञ शामिल नहीं है। चूंकि चीतों को यहां ले आया गया है, एनटीसीए को कम से कम शुरुआती दिनों में सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति के साथ काम करना जारी रखना चाहिए।

उन्होंने कहा,'चीते आए और हमने उनमें से एक को खो भी दिया। हमें विशेषज्ञों की जरूरत है, जिनके पास चीतों के प्रबंधन का विस्तृत ज्ञान और अनुभव हो।'केंद्र की ओर से अतिरिक्त सालिसिटर जनरल ऐश्वर्य भाटी ने कहा कि सरकार ने भारत में चीतों को लाने के लिए वैज्ञानिक कार्ययोजना बनाई है।

कई देशों के चीता विशेषज्ञों से की गई बातचीत

उन्होंने कहा, 'कार्ययोजना विस्तृत वैज्ञानिक दस्तावेज है जिसे वैज्ञानिकों, वन्यजीव चिकित्सकों, वन अधिकारियों और भारत तथा नामीबिया, दक्षिण अफ्रीका और अमेरिका जैसे देशों के चीता विशेषज्ञों से बातचीत के आधार पर तैयार किया गया है।' भाटी ने कहा कि ऐसी बात नहीं है कि सिर्फ उनके विशेषज्ञों को ही सब कुछ पता है और अन्य विशेषज्ञों को इस बारे में कोई जानकारी नहीं है।


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