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जजों की नियुक्ति पर सीजेआई की टिप्‍पणी, महिला वकील घरेलू जिम्मेदारियां बताकर जज बनने से कर देती हैं इनकार

सीजेआइ ने कहा है कि महिलाओं को हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त किए जाने की मांग होती रहती है लेकिन महिलाएं घरेलू जिम्मेदारियों और मातृत्व का कारण देकर स्वयं ही जज बनने से इन्कार कर देती हैं। पढ़ें यह रिपोर्ट...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Thu, 15 Apr 2021 11:20 PM (IST)Updated: Thu, 15 Apr 2021 11:20 PM (IST)
जजों की नियुक्ति पर सीजेआई की टिप्‍पणी, महिला वकील घरेलू जिम्मेदारियां बताकर जज बनने से कर देती हैं इनकार
सीजेआइ ने कहा है कि महिलाएं घरेलू जिम्मेदारियों का कारण देकर स्वयं ही जज बनने से इन्कार कर देती हैं।

नई दिल्ली, जेएनएन। महिला जजों की संख्या कम होने और महिलाओं को हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जज नियुक्त किये जाने की मांग होती रहती है लेकिन महिलाएं घरेलू जिम्मेदारियों और मातृत्व का कारण देकर स्वयं ही जज बनने से इन्कार कर देती हैं। यह बात गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति पर चल रही सुनवाई में सामने आई।

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सीजेआई ने कही यह बात

जजों की नियुक्ति पर चल रही सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा कि अब समय आ गया है कि भारत की चीफ जस्टिस महिला हो लेकिन हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बताते हैं कि जब महिला वकील से जज बनने के लिए कहा जाता है तो वे घरेलू जिम्मेदारियों या बच्चों के ग्यारहवीं अथवा बारहवीं में होने की बात कहकर जज बनने से मना कर देती हैं।

अनुभवी वकीलों के नाम पर विचार

यह बात चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने उस वक्त कही जब सुप्रीम कोर्ट की महिला वकीलों के एसोसिएशन ने हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति में सुप्रीम कोर्ट की अनुभवी महिला वकीलों के नाम पर भी विचार किए जाने की मांग की। वकील स्नेहा कालिथा ने महिला वकीलों को हाईकोर्ट में जज नियुक्त करने पर विचार करने की मांग करते हुए कहा कि एमओपी (मेमोरेंडम आफ प्रोसीजर) में इस बारे में कोई जिक्र नहीं है।

उपयुक्‍त महिला उम्‍मीदवार हो

इस पर जस्टिस बोबडे ने हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस का अनुभव साझा करते हुए कहा कि वे महिलाओं के हितों का ध्यान रखते हैं। इस बारे में उनकी सोच और व्यवहार में कोई बदलाव नहीं आया है लेकिन इन पदों के लिए एक उपयुक्त उम्मीदवार चाहिए होता है।

वकीलों को हाई कोर्ट में जज नियुक्त करने पर विचार

इससे पहले वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने भी सुप्रीम कोर्ट के वकीलों को हाई कोर्ट में जज नियुक्त किए जाने पर विचार करने का आग्रह किया जिस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि वह कोलेजियम का हिस्सा हैं और कोलेजियम सुप्रीम कोर्ट के वकीलों के नामों पर विचार करती है और उनके नामों की सिफारिश भी करती है।

टाइमलाइन बनाए केंद्र

इस बीच जजों की नियुक्ति के बारे में कोलेजियम की सिफारिशों के लंबे समय तक सरकार के पास लंबित रहने पर पीठ ने केंद्र सरकार की ओर से पेश अटार्नी जनरल (एजी) केके वेणुगोपाल से कहा कि यह मसला ही खत्म हो जाए अगर केंद्र कोर्ट को एक टाइम लाइन बता दे। इस पर एजी ने कहा कि टाइम लाइन तो हाईकोर्ट से सिफारिश भेजे जाने के बारे में भी तय होनी चाहिए।

तीन महीने के भीतर सरकार लेगी फैसला

इस पर पीठ के सदस्य जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम द्वारा भेजी गई सिफारिशों पर सरकार के फैसला लेने की टाइम लाइन की बात कर रहे हैं। इस पर वेणुगोपाल ने कहा कि सरकार कोलेजियम की ओर से 25 जुलाई 2019, 17 अक्टूबर 2019 और 18 अगस्त 2020 को भेजी गई सिफारिशों, जो कि छह महीने से ज्यादा समय से लंबित हैं, पर तीन महीने के भीतर निर्णय ले लेगी और कोर्ट को सूचित करेगी। इस मामले की सुनवाई तीन जजों की पीठ कर रही थी। 


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