सुप्रीम कोर्ट से खनन विभाग और झारखंड के मुख्यमंत्री के बीच कथित गठजोड़ की सीबीआइ से जांच कराने की मांग
सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को एक जनहित याचिका दाखिल की गई जिसमें रांची जिले के अंगारा ब्लाक में पत्थरों के खनन की लीज देने में खनन विभाग और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के बीच कथित गठजोड़ की सीबीआइ से जांच कराने की मांग की गई है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को एक जनहित याचिका दाखिल की गई जिसमें रांची जिले के अंगारा ब्लाक में पत्थरों के खनन की लीज देने में खनन विभाग और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के बीच कथित गठजोड़ की सीबीआइ से जांच कराने की मांग की गई है। यह जनहित याचिका जय प्रकाश जनता दल (जेपीजेडी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और गैरसरकारी संगठन (एनजीओ) नव आकांक्षा के चेयरपर्सन पंकज कुमार द्वारा दाखिल की गई है।
इसमें सोरेन को प्रदान किए खनन लाइसेंस और मंजूरी को रद करने के लिए राज्य सरकार को निर्देश देने की मांग भी की गई है। अधिवक्ता समीर कुमार के जरिये दाखिल याचिका में कहा गया है कि रांची के जिला खनन विभाग ने 16 जून, 2021 को प्रतिवादी-चार (हेमंत सोरेन) को उनके खनन के लिए आवेदन को स्वीकार करते हुए पत्र जारी किया था और इस तथ्य की अनदेखी की कि प्रतिवादी झारखंड का मुख्यमंत्री है।
याचिका में कहा गया है कि यह न सिर्फ अनैतिक है बल्कि संविधान के अनुच्छेद 191 का भी उल्लंघन है। यही नहीं, उन्होंने अपने संवैधानिक कर्तव्यों की घोर अवहेलना करते हुए नौ सितंबर, 2021 को पर्यावरण मंजूरी के दस्तावेज भी दाखिल कर दिए।
आइएफएस अधिकारी के मामले में सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट
समाचार एजेंसी पीटीआइ की रिपोर्ट के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट एक आइएफएस अधिकारी से जुड़े मामले में उत्तराखंड हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली केंद्र की याचिका पर सुनवाई करेगा। शीर्ष अदालत ने सोमवार को इसके लिए सहमति जता दी। मालूम हो कि उत्तराखंड हाई कोर्ट ने केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण यानी कैट की नई दिल्ली स्थित प्रधान पीठ के एक महत्वपूर्ण आदेश को रद कर दिया था। इस आदेश में उसने अधिकारण की नैनीताल सर्किट पीठ के समक्ष आइएफएस अधिकारी द्वारा दाखिल आवेदन को स्वयं के पास स्थानांतरित कर लिया था।