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दहेज को लेकर सुप्रीम कोर्ट की कठोर टिप्पणी, कहा-दहेज का शादी पर पड़ता है भयावह असर

शीर्ष न्यायालय ने दहेज विरोधी कानून की धार को कमजोर करने वाले अपने 2017 के एक आदेश के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर तल्ख टिप्पणी की।

By Arti YadavEdited By: Published: Tue, 24 Apr 2018 11:29 AM (IST)Updated: Tue, 24 Apr 2018 12:06 PM (IST)
दहेज को लेकर सुप्रीम कोर्ट की कठोर टिप्पणी, कहा-दहेज का शादी पर पड़ता है भयावह असर

नई दिल्ली (प्रेट्र)। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दहेज को लेकर कठोर टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि दहेज का शादी पर भयावह असर पड़ता है। शीर्ष न्यायालय ने दहेज विरोधी कानून की धार को कमजोर करने वाले अपने 2017 के एक आदेश के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रखते हुए उपरोक्त तल्ख टिप्पणी की।

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ध्यान रहे 27 जुलाई, 2017 के अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने दहेज प्रताड़ना के मामलों में आमतौर पर आरोपों की पुष्टि होने तक किसी भी अभियुक्त को गिरफ्तार नहीं करने का निर्देश दिया था। उस समय शीर्ष अदालत ने कहा था कि सिर्फ आरोप लग जाने भर से किसी के मानवाधिकारों का उल्लंघन नहीं होना चाहिए। बाद में मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा, एएम खानविलकर और डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने इस मामले में हस्तक्षेप किया। कहा, 'हमें यह कहने पर मजबूर होना पड़ रहा है कि हम इस फैसले से सहमत नहीं है। हमारा मानना है कि इस सिलसिले में दिशा-निर्देश जारी करना विधायिका के अधिकार क्षेत्र में आता है।'

सोमवार को भी मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अगुआई वाली उसी पीठ ने कहा कि अदालत किसी केस के तथ्यों पर गौर नहीं करेगी। इसकी जगह एक तरफ जहां वह शादीशुदा महिला के लिए लैंगिक न्याय के मसले पर विचार करेगी, वही दूसरी ओर पति और दूसरे रिश्तेदारों के जीवन और व्यक्तिगत आजादी के मुद्दे पर ध्यान देगी। पीठ का कहना था, 'दहेज प्रताड़ना यानी आइपीसी की धारा 498-ए को लेकर यह दो अवधारणा है।' सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'ऐसे मामलों में एक तरफ तो महिला के लिए लैंगिक न्याय सुनिश्चित किया जाना चाहिए, क्योंकि दहेज का शादी पर भयावह असर होता है। दूसरी तरफ पुरुष के जीवन एवं व्यक्तिगत आजादी के अधिकार की भी हिफाजत होनी चाहिए।' पीठ के अनुसार, 'इन दोनों पक्षों (महिला एवं पुरुष के परस्पर विरोधी हितों) को कैसे समायोजित किया जाए, यही विचारणीय मसला है।'


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