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सुप्रीम कोर्ट ने कहा- एनसीडीआरसी नियुक्तियों में अब और देरी नहीं हो

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निपटारा आयोग (एनसीडीआरसी) के सदस्यों की नियुक्ति में और देरी नहीं होनी चाहिए।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Sun, 30 Aug 2020 08:47 AM (IST)Updated: Sun, 30 Aug 2020 08:47 AM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- एनसीडीआरसी नियुक्तियों में अब और देरी नहीं हो
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- एनसीडीआरसी नियुक्तियों में अब और देरी नहीं हो

नई दिल्ली, एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निपटारा आयोग (एनसीडीआरसी) के सदस्यों की नियुक्ति में और देरी नहीं होनी चाहिए। कोर्ट ने केंद्र से नियुक्ति प्रक्रिया शीघ्र पूरी करने के लिए कहा है। जस्टिस एल. नागेश्वर राव, जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस एस. रवींद्र भट्ट की पीठ ने एनसीडीआरसी के एक सदस्य का कार्यकाल ब़़ढाते हुए यह टिप्पणी की। सदस्य रविवार को रिटायर होने वाले थे।

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पीठ ने कहा, 'एनसीडीआरसी के सदस्यों का चयन और नियुक्ति को अंतिम रूप देने में और देरी नहीं की जा सकती। हमें उम्मीद और विश्वास है कि एनसीडीआरसी में नियुक्ति शीघ्र की जाएगी।' शीर्ष कोर्ट एनसीडीआरसी सदस्य की ओर से दाखिल एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था। सदस्य ने नियमित नियुक्ति तक अपनी सेवा विस्तार करने की मांग की थी।

अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने दलील दी कि चयन समिति द्वारा की गई सिफारिश पर मंत्रिमंडल की नियुक्ति संबंधी समिति विचार कर रही है। शीषर्ष कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता 30 अगस्त को रिटायर होने जा रहे हैं। उनका कार्यकाल एक महीने के लिए ब़़ढाया जाता है।

वक्फ कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल हुई है जिसमें अन्य धर्मो से भेदभाव का आरोप लगाते हुए वक्फ कानून 1995 के प्रावधानों को चुनौती दी गई है। याचिका में मांग है कि कोर्ट घोषित करे कि संसद को वक्फ और वक्फ संपत्ति के लिए वक्फ कानून 1995 बनाने का अधिकार नहीं है। संसद सातवीं अनुसूची की तीसरी सूची में दिये आइटम 10 और 28 के दायरे से बाहर जाकर ट्रस्ट, ट्रस्ट संपत्ति, धर्माथ और धार्मिक संस्थाओं और संस्थानों के लिए कोई कानून नहीं बना सकती। यह भी मांग की गई है कि कोर्ट आदेश दे कि वक्फ एक्ट 1995 के तहत जारी कोई भी नियम, अधिसूचना, आदेश अथवा निर्देश हिन्दू अथवा अन्य गैर इस्लामी समुदायों की संपत्तियों पर लागू नहीं होगा। वक्फ कानून के विभिन्न प्रावधानों को चुनौती देते हुए कहा गया है कि इनमें वक्फ की संपत्ति को विशेष दर्जा दिया गया है जबकि ट्रस्ट, मठ और अखाड़ा की संपत्तियों को वैसा दर्जा प्राप्त नहीं है। 


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