जेलों में कैदियों की भीड़ के लिए अदालतें भी जिम्मेदार, सुधार के लिए दो हफ्ते में जारी होंगे आदेश
Overcrowding in Jails सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जेलों में कैदियों की भीड़ के लिए अदालतें भी जिम्मेदार हैं। जल्द ही शीर्ष अदालत इस मामले में दिशानिर्देश जारी करेगी।
नई दिल्ली, पीटीआइ। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जेलों में कैदियों की ज्यादा भीड़ होना अदालतों की कार्यप्रणाली से जुड़ा मामला है। वह जल्द ही इस मामले में दिशानिर्देश जारी करेगा जिससे देश की 1,341 जेलों की दशा में सुधार आएगा। इन जेलों में 3.83 लाख सजायाफ्ता या विचारणीय कैदी रखने की क्षमता है लेकिन इनमें मौजूदा समय में 4.68 लाख कैदी रह रहे हैं। शीर्ष अदालत ने जेलों में अराजकता की स्थिति पर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह बात कही है।
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, दिशानिर्देश में जेल स्टाफ की कमी को खत्म करने के लिए भी सरकार को निर्देश होगा। जेलों में स्वीकृत कर्मियों की संख्या से 30 से 40 प्रतिशत कम कर्मी कार्यरत हैं। इसका भी जेल से व्यवस्थाओं पर नकारात्मक असर पड़ रहा है। जेल में कैदियों की ज्यादा संख्या की समस्या सीधे तौर पर अदालतों के कामकाज से जुड़ी है, इसलिए उसमें सुधार के लिए कदम उठाए जाएंगे।
पीठ ने केंद्र सरकार के प्रतिनिधि एडीशनल सोलिसिटर जनरल एएनएस नाडकर्णी से पूछा कि जेलों के खाली पदों को अविलंब भरने के लिए वह किस संस्था को सीधे निर्देश दें। यह कार्य सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस अमित्व रॉय की अध्यक्षता वाली कारागार सुधार समिति की देखरेख में पूरा हो।
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की भागीदारी वाली पीठ ने कहा, जेलों में कैदियों की ज्यादा संख्या और कर्मचारियों के खाली स्थानों को भरने के संबंध में वह दो सप्ताह बाद आदेश जारी करेगी। ये कार्य समयबद्ध होंगे और इन्हें पूरा न करने पर जिम्मेदार लोग अवमानना के दोषी होंगे। जेलों की खराब दशा पर 2013 में लिखे गए एक पत्र पर स्वत: संज्ञान लेकर सुप्रीम कोर्ट मामले की सुनवाई कर रहा है। पत्र में देश की जेलों में कैदियों की अमानवीय दशा की ओर शीर्ष न्यायालय का ध्यान आकृष्ट कराया गया था।