धार्मिक जुलूसों के लिए सख्त नियम की मांग पर SC की फटकार, कहा- दंगों के स्रोत के रूप में इसे नहीं करें चित्रित
सुप्रीम कोर्ट ने देश भर में धार्मिक जुलूसों के लिए सख्त नियम की मांग करने वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया। याचिका पर फटकार लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसी तस्वीर नहीं बनाए कि सभी धार्मिक जुलूसों से दंगे होते हैं।
नई दिल्ली, एएनआइ। सुप्रीम कोर्ट ने देश भर में धार्मिक जुलूसों के लिए सख्त नियम की मांग करने वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया। याचिका पर फटकार लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसी तस्वीर नहीं बनाए कि सभी धार्मिक जुलूसों से दंगे होते हैं और धार्मिक जुलूस दंगों का एक सोर्स है। इस याचिका की सुनवाई सीजेआइ डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस नरसिम्हा की पीठ कर रही थी।
सुप्रीम कोर्ट ने एनजीओ को लगाई फटकार
इस याचिका को खारिज करते हुए पीठ ने कहा कि यह कानून-व्यवस्था का मुद्दा है और इसे राज्य की पुलिस और जिलाधिकारियों द्वारा देखा जा सकता है। बता दें कि इस याचिका को एनजीओ सिटीजन फॉर जस्टिस एंड पीस द्वारा दायर किया गया था। एनजीओ ने जनहित में देश भर में धार्मिक जुलूसों को विनियमित करने के लिए दिशानिर्देशों की मांग की थी। एनजीओ ने कहा था कि धार्मिक जुलूसों में लोग हथियार दिखाते हैं।
जुलूसों के लिए एक समान दिशा निर्देश नहीं हो सकते- SC
CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि भारत की सांस्कृतिक विविधता एक जिले से दूसरे जिले में अलग होती है और धार्मिक जुलूसों को विनियमित करने के लिए समान दिशा-निर्देश नहीं हो सकते हैं। एनजीओ की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सीयू सिंह ने पीठ को बताया कि धार्मिक उत्सवों के दौरान तलवारें और हथियार लहराते हुए जुलूस निकाले जाते हैं। उन्होंने तर्क दिया कि धार्मिक उत्सवों के दौरान निकाले जाने वाले इस तरह के जुलूसों के दौरान दंगे आम हो गए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया गणेश पूजा का उदाहरण
इस पर पीठ ने पूछा कि हम इसे इसलिए चित्रित करना चाहते हैं कि त्योहार के दौरान दंगे होते हैं। पीठ ने कहा कि महाराष्ट्र में गणेश पूजा के दौरान जुलूस निकाले जाते हैं, लेकिन कोई दंगे नहीं होते हैं। उन्होंने कहा कि आप एक धार्मिक त्योहार के दौरान दंगों की कुछ छिटपुट घटनाओं से सभी धार्मिक जुलूसों की समानता नहीं कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि सकारात्मक देखने की कोशिश करें।