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सुप्रीम कोर्ट ने कहा, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के रिक्त पदों को जल्द भरे केंद्र सरकार

सुप्रीम कोर्ट ने 23 जुलाई को भी इस बाबत एक आदेश जारी किया था लेकिन उससे पहले 17 जुलाई को एक विशेष सदस्य ने इस्तीफा दे दिया।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Sat, 15 Aug 2020 10:18 PM (IST)Updated: Sat, 15 Aug 2020 10:18 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के रिक्त पदों को जल्द भरे केंद्र सरकार
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के रिक्त पदों को जल्द भरे केंद्र सरकार

नई दिल्ली, आइएएनएस। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के न्यायिक और विशेषज्ञ सदस्यों की नियुक्ति प्रक्रिया को तेज किया जाए और सभी रिक्त पदों को जल्द भरा जाए। यह निर्देश शीर्ष न्यायालय की जस्टिस एएम खानविल्कर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने दिया है। एनजीटी में इस समय सात न्यायिक सदस्यों और छह विशेषज्ञ सदस्यों के पद खाली हैं।

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एनजीटी बार एसोसिएशन (वेस्टर्न जोन) की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने 23 जुलाई को भी इस बाबत एक आदेश जारी किया था लेकिन उससे पहले 17 जुलाई को एक विशेष सदस्य ने इस्तीफा दे दिया। इससे रिक्त पदों की संख्या बढ़ गई।

सुनवाई के दौरान पीठ को बताया गया कि नियुक्ति संबंधी प्रक्रिया अभी शुरुआती चरण में है। इसलिए पीठ ने एक बार फिर से चयन समिति से कहा है कि वह अपनी प्रक्रिया में तेजी लाए जिससे रिक्त पदों पर जल्द नियुक्ति हो सके। नियमानुसार एनजीटी में कम से कम दस न्यायिक सदस्य होने चाहिए लेकिन इस समय केवल सात सदस्यों से काम चलाया जा रहा है।

उल्लेखनीय है कि एनजीटी में न्यायिक और विशेषज्ञ सदस्यों की संख्या कम होने की वजह से वहां का कामकाज गति नहीं पकड़ पा रहा है। लंबित मुकदमों की संख्या बढ़ती जा रही है। अब जबकि पर्यावरण संबंधी चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं, तब उन पर नजर रखने वाले एनजीटी का कामकाज आवश्यक संख्या बल की कमी से बाधित हो रहा है।

एनजीटी ने पर्यावरण मंत्रालय को लगाई थी फटकार

वहीं, दूसरी ओर अभी हाल ही में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने विभिन्न परियोजनाओं के लिए पर्यावरण मंजूरी से जुड़े नियमों के अनुपालन की अनदेखी पर वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को फटकार लगाई थी। ट्रिब्यूनल का कहना था कि पर्यावरण संबंधी नियमों की निगरानी का तंत्र पर्याप्त नहीं है। पर्यावरण मंजूरी की शर्तो का पालन हो रहा है या नहीं, इसकी समय-समय पर निगरानी होनी चाहिए। ऐसा कम से कम तिमाही में एक बार अवश्य होना चाहिए। 


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