सुप्रीम कोर्ट ने ठुकराई हर्ष मंदर के मामले मे हिंसा पीडि़तों की पक्षकार बनने की मांग
सुप्रीम कोर्ट ने हर्ष मंदर के मामले में हिंसा पीडि़तों को पक्षकार बनाए जाने का आग्रह गुरुवार को ठुकरा दिया।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सुप्रीम कोर्ट ने हर्ष मंदर के मामले में हिंसा पीडि़तों को पक्षकार बनाए जाने का आग्रह गुरुवार को ठुकरा दिया। कोर्ट ने वरिष्ठ वकील कोलिन गोन्साल्विस का आग्रह ठुकराते हुए कहा कि वह उन्हें मामले में हस्तक्षेप (इंटरवीनर) की इजाजत नहीं देंगे।
हर्ष मंदर के खिलाफ अवमानना का मामला चलाने की मांग
हर्ष मंदर के भाषण में सुप्रीम कोर्ट पर टिप्पणियां किये जाने के मामले में कोर्ट शुक्रवार को सुनवाई करेगा। इस मामले में दिल्ली पुलिस की ओर से गुरुवार को हलफनामा दाखिल कर हर्ष मंदर पर भड़काऊ भाषण देने और कोर्ट पर टिप्पणी करने का आरोप लगाते हुए मंदर के खिलाफ अवमानना का मामला चलाने की मांग की गई है। गत बुधवार को सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस और केन्द्र की ओर से सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने हर्ष मंदर के भाषण की ट्रांसस्कि्रप्ट कोर्ट में पढ़ी थी और कहा था कि मंदर ने इसमें कोर्ट पर सवाल उठाया है और लोगों को भड़काया है। कोर्ट ने इस पर मंदर से भी जवाब मांगते हुए मामले को शुक्रवार को सुनवाई पर लगाने का आदेश दिया था। जबकि कोर्ट ने भड़काऊ भाषण देने के आरोप में भाजपा के तीन नेताओं के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने की मांग वाली शेख मुजतबा फारुक सहित दस हिंसा पीड़ितों की ओर से दाखिल याचिका सुनवाई के लिए हाईकोर्ट भेज दी थी।
बुधवार को हिंसा पीडि़तों की ओर से कोलिन गोन्साल्विस ने ही बहस की थी, लेकिन हर्ष मंदर की वकील दूसरी थीं। सुनवाई के दौरान सालिसिटर जनरल ने यह मुद्दा भी उठाया था कि जैसी याचिका हिंसा पीड़ितों ने सुप्रीम कोर्ट मे दाखिल की है, ठीक वैसी ही याचिका हर्ष मंदर ने हाईकोर्ट में दाखिल कर रखी है और वहां उनके वकील कोलिन गोन्साल्विस ही थे। मेहता का आरोप था कि इस याचिका के पीछे भी मंदर ही हैं।
हर्ष मंदर के सुप्रीम कोर्ट पर टिप्पणी करने के मामले में कोर्ट शुक्रवार को सुनवाई करेगा
गुरुवार को सुबह वरिष्ठ वकील कोलिन गोन्साल्विस ने मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की पीठ के समक्ष मामले का जिक्र करते हुए दस हिंसा पीड़ितों को भी हर्ष मंदर के मामले में हस्तक्षेप करने और पक्ष रखने की इजाजत मांगी, लेकिन कोर्ट ने साफ मना कर दिया। गोन्साल्विस ने कहा कि उन्होंने हर्ष मंदर का भाषण सुना है, वह कोर्ट के समक्ष उसकी ट्रांस्क्रिप्ट रखना चाहते हैं। वह हाईकोर्ट मे हर्ष मंदर के वकील थे, ऐसे में उन्हें लगता है कि उन्हें इस कोर्ट के समक्ष रिकॉर्ड रखना चाहिए लेकिन मुख्य न्यायाधीश ने उन्हें मना कर दिया और कहा कि उन्होंने सालिसिटर जनरल से उस वीडियो को रिकॉर्ड पर रखने को कहा है। ऐसे में उनकी इस मामले मे जरूरत नहीं है।