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कोरोना मरीजों की धर्म के आधार पर पहचान न करने की मांग सुप्रीम कोर्ट ने की खारिज

याचिका में मांग की गई थी कि कोर्ट दिल्ली सरकार केंद्र सरकार व अन्य अथारटीज को आदेश दे कि वे कोरोना मरीजों की पहचान धर्म जाति या वर्ग के आधार पर न करें। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Fri, 25 Sep 2020 08:53 PM (IST)Updated: Fri, 25 Sep 2020 08:53 PM (IST)
कोरोना मरीजों की धर्म के आधार पर पहचान न करने की मांग सुप्रीम कोर्ट ने की खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह इस याचिका पर विचार करने का इच्छुक नहीं है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार, केंद्र सरकार और अन्य अथारिटीज को कोरोना मरीजों की पहचान धर्म के आधार पर न करने का निर्देश देने की मांग करने वाली याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी।

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तबलीगी जमात की घटना के आधार पर पूरे एक समुदाय पर आरोप लगाया गया

दिल्ली के रहने वाले दो याचिकाकर्ताओं ने मार्च में निजामुद्दीन मरकज के सम्मेलन में शामिल हुए तबलीगी जमात के लोगों का मुद्दा उठाते हुए यह याचिका दाखिल की थी। याचिका में कहा था कि तबलीगी जमात की घटना के आधार पर पूरे एक समुदाय पर आरोप लगाया गया।

सुप्रीम कोर्ट पीठ ने कहा- इस याचिका पर विचार करने का इच्छुक नहीं 

शुक्रवार को यह याचिका न्यायमूर्ति अशोक भूषण, आर सुभाष रेड्डी और एमआर शाह की पीठ के समक्ष सुनवाई पर लगी थी। पीठ ने मामले पर विचार करने से इन्कार करते हुए कहा कि याचिकाकर्ताओं ने ऐसी ही याचिका पहले हाईकोर्ट में दाखिल की थी जिसे हाईकोर्ट ने 20 अप्रैल को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही ऐसा एक मामला सुन रहा है। सुप्रीम कोर्ट पीठ ने कहा कि वह इस याचिका पर विचार करने का इच्छुक नहीं है।

याचिका में मांग की गई थी कि कोरोना मरीजों की पहचान धर्म, जाति या वर्ग के आधार पर न करें

याचिका में मांग की गई थी कि कोर्ट दिल्ली सरकार, केंद्र सरकार व अन्य अथारटीज को आदेश दे कि वे कोरोना मरीजों की पहचान धर्म, जाति या वर्ग के आधार पर न करें। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकीलों का कहना था कि किसी बीमारी को किसी धर्म विशेष से जोड़ कर कैसे देखा जा सकता है।

कोरोना मरीजों की सूचना का प्रसार भी धर्म के आधार पर करने से रोका जाए

याचिका में यह भी कहा गया था कि विभिन्न मीडिया चैनलों, वेबसाइट आदि को कोरोना मरीजों की सूचना का प्रसार भी धर्म के आधार पर करने से रोका जाए। ऐसी वेबसाइटों को तत्काल प्रभाव से ब्लाक किया जाए। हालांकि कोर्ट याचिका से प्रभावित नहीं हुआ और उसने मामले पर विचार करने से इन्कार करते हुए याचिका खारिज कर दी।


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