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गंभीर अपराध में आरोपित का चुनाव रद करने का आदेश देने से सुप्रीम कोर्ट का इन्कार

न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने गैर सरकारी संस्था लोकप्रहरी की याचिका निपटाते हुए कहा कि वह इस मांग पर कोई आदेश नहीं दे सकते। यह एक तरह से अयोग्यता का मामला है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Mon, 16 Nov 2020 08:54 PM (IST)Updated: Mon, 16 Nov 2020 08:54 PM (IST)
राजनीति में अपराधियों का प्रवेश रोकने के लिए संसद से कानून बनाने को कहा गया था

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। गंभीर अपराध में आरोपित सांसद व विधायक का चुनाव रद अथवा शून्य घोषित करने की मांग पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने कोई आदेश देने से इन्कार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि यह मामला विधायिका के कार्यक्षेत्र में आता है। कानून बनाना संसद का काम है। कोर्ट इस बारे में कोई आदेश कैसे दे सकता है।

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न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने गैर सरकारी संस्था लोकप्रहरी की याचिका निपटाते हुए कहा कि वह इस मांग पर कोई आदेश नहीं दे सकते। यह एक तरह से अयोग्यता का मामला है। याचिका पर स्वयं बहस कर रहे संस्था के जनरल सेकरेट्री एसएन शुक्ला ने कहा कि विधायिका इस तरह का कानून कभी पास नहीं करेगी क्योंकि वहां 33 फीसद से ज्यादा आपराधिक पृष्ठभूमि के लोग हैं। शुक्ला ने कहा कि वह कोर्ट से कानून बनाने की मांग नहीं कर रहे उन्हें मालूम है कि कानून बनाना संसद के कार्यक्षेत्र मे आता है उनकी मांग सिर्फ इतनी है कि जिन लोगों (सांसदों विधायकों) के खिलाफ पांच साल या उससे अधिक सजा वाले गंभीर अपराध में आरोप तय हुए एक वर्ष से ज्यादा हो गया है उनका चुनाव जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 100 (1) की उपधारा (ए) के तहत रद घोषित किया जाए। इस पर पीठ के एक न्यायाधीश ने कहा कि यह प्रावधान तो चुनाव याचिका दाखिल करने की बात करता है।

पीठ ने मामले में आदेश देने से इन्कार करते हुए कहा कि कोर्ट ने पहले एक आदेश दिया था जिसमें राजनीति में अपराधियों का प्रवेश रोकने के लिए संसद से कानून बनाने को कहा गया था। कोर्ट ने शुक्ला से कहा कि वह उस फैसले को लागू कराने के लिए याचिका दाखिल कर सकते हैं।


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