सुप्रीम कोर्ट ने अमरनाथ यात्रा को कोरोना के चलते रद करने के मामले में दखल देने से किया इनकार
सुप्रीम कोर्ट ने अमरनाथ यात्रा के मामले में दखल देने और विचार करने से इनकार कर दिया है।
नई दिल्ली, माला दीक्षित। सुप्रीम कोर्ट ने अमरनाथ यात्रा के मामले में दखल देने और विचार करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में सरकार और स्थानीय प्रशासन को निर्णय लेना चाहिए। याचिका में कोरोना को देखते हुए अमरनाथ यात्रा पर रोक लगाने और लाइव दर्शन की मांग की गई थी। हालांकि, जम्मू-कश्मीर में अमरनाथ यात्रा को लेकर तैयारियां तेज हैं। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर यात्रा को लेकर दिशानिर्देश जारी कर दिए हैं। इनमें श्रद्धालुओं से पंजीकरण के बाद ही यात्रा में आने को कहा है। इसके अलावा यात्रा में आने से श्रद्धालुओं को खुद को फिट रखने के लिए रोजाना सुबह चार से पांच घंटे सैर करने की सलाह भी दी है। बता दें कि इस बार अमरनाथ यात्रा अवधि कम रखी गई है। साथ ही श्रद्धालुओं को पवित्र गुफा में धूप अगरबत्ती की अनुमति नहीं होगी।
अनुच्छेद 32 के तहत यहां मामले पर सुनवाई करना अनुचित: कोर्ट
सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को कोविड-19 महामारी के कारण अमरनाथ यात्रा में श्रद्धालुओं पर प्रतिबंध लगाने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई से इन्कार कर दिया। अदालत ने कहा कि इस मुद्दे को स्थानीय प्रशासन को देखना होगा। न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़, इंदु मल्होत्रा और केएम जोसेफ की पीठ ने कहा कि हमें शक्तियों के विभाजन के सिद्धांत का सम्मान करना होगा। वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा, हमारा मानना है अनुच्छेद 32 के तहत यहां मामले पर सुनवाई करना अनुचित है। यात्रा होनी चाहिए या नहीं, इस मुद्दे को स्थानीय प्रशासन पर छोड़ दिया जाना चाहिए। निस्संदेह कोई भी निर्णय कानून और सभी प्रासंगिक वैधानिक प्रावधानों के दायरे में होना चाहिए।
पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा पर प्रतिबंध का हवाला
शीर्ष अदालत श्री अमरनाथ बर्फानी लंगर्स ऑर्गनाइजेशन द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इसने केंद्र, जम्मू-कश्मीर प्रशासन और श्री अमरनाथजी श्राइन बोर्ड से कोरोना वायरस के प्रकोप के मद्देनजर इस वर्ष तीर्थयात्रा पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। याचिकाकर्ता ने इंटरनेट और टेलीविजन के माध्यम से भगवान श्री अमरनाथजी श्राइन के लाइव दर्शन के लिए दिशा-निर्देश देने की भी मांग की थी। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील देवदत्त कामत ने अमरनाथ यात्रा पर प्रतिबंध की मांग करते हुए कहा कि शीर्ष अदालत ने पहले पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा पर भी प्रतिबंध लगाया था।
पांच जुलाई से अमरनाथ यात्रा
हालांकि, इस पर पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत ने बाद में रथ यात्रा की अनुमति देने के लिए आदेश को संशोधित किया। पीठ ने कहा, हम यह निर्धारित नहीं कर सकते कि किसी विशेष इलाके में यात्रा आयोजित की जानी चाहिए या नहीं। इन मुद्दों से जिला प्रशासन ही निपट सकता है। जम्मू और कश्मीर प्रशासन ने पांच जुलाई को जम्मू से अमरनाथ गुफा तक सड़क मार्ग से प्रतिदिन 500 तीर्थयात्रियों को यात्रा की अनुमति देने का निर्णय लिया था।