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सुप्रीम कोर्ट ने महिला द्वारा लगाए गए दुष्‍कर्म के आरोपों को किया खारिज, कहा- सहमति से बनाए थे संबंध, क्‍या है पूरा मामला..?

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एक शख्‍स पर लगाए गए दुष्‍कर्म के आरोपों को खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पीड़‍िता की सहमति से संबंध बना था जो उसकी शादी के दौरान और तलाक के बाद भी कायम रहा।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Fri, 19 Aug 2022 06:56 PM (IST)Updated: Fri, 19 Aug 2022 07:06 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ने महिला द्वारा लगाए गए दुष्‍कर्म के आरोपों को किया खारिज, कहा- सहमति से बनाए थे संबंध, क्‍या है पूरा मामला..?
सुप्रीम कोर्ट ने एक शख्‍स के खिलाफ लगाए गए दुष्‍कर्म के आरोपों को खारिज कर दिया....

नई दिल्‍ली, एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एक शख्‍स के खिलाफ लगाए गए दुष्‍कर्म के आरोपों को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि पीड़‍िता की सहमति से संबंध बना था जो उसकी शादी से पहले, शादी के निर्वाह के दौरान और तलाक के बाद भी जारी रहा। न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ (Justice DY Chnadrachud) और एएस बोपन्ना (AS Bopanna) की पीठ ने आरोपी की उस याचिका पर फैसला सुनाया जिसमें इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गई थी।

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समाचार एजेंसी पीटीआइ की रिपोर्ट के मुताबिक इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) ने आरोपी के खिलाफ दाखिल चार्जशीट को खारिज करने से इनकार कर दिया था। सर्वोच्‍च अदालत की पीठ ने कहा कि एफआईआर या चार्जशीट में आईपीसी की धारा-376 (दुष्‍कर्म) के तहत अपराध के लिए जरूरी कारकों को खोजना असंभव है। इसलिए अदालत पांच अक्‍टूबर 2018 में दिए गए उच्च न्यायालय के आदेश को रद करती है।

हालांकि सर्वोच्‍च अदालत ने आरोपी के खिलाफ दर्ज मामले और उसके खिलाफ आरोपपत्र पर संज्ञान लेने वाले अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के 24 मई, 2018 के आदेश को रद्द करते हुए सीआरपीसी की धारा-482 के तहत आवेदन की अनुमति भी दी। पीठ ने कहा कि मामले में उच्च न्यायालय द्वारा आरोप पत्र को संबोधित किया जाना था कि क्‍या सभी आरोप सही हैं। माना जाता है कि अपीलकर्ता और प्रतिवादी के बीच 2013 से दिसंबर 2017 तक सहमतिजन्‍य संबंध थे। वे दोनों शिक्षित वयस्क हैं।

प्रतिवादी ने इस अवधि के दौरान 12 जून 2014 को किसी और से शादी कर ली। यह विवाह 17 सितंबर 2017 को आपसी सहमति से लिए गए तलाक के चलते समाप्त हो गया। गौर करने वाली बात यह भी कि प्रतिवादी के आरोपों से संकेत मिलता है कि अपीलकर्ता के साथ उसका संबंध उसकी शादी से पहले, शादी के दौरान और तलाक देने के बाद भी जारी रहा।

फैसला लिखने वाले न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि इस पूरे मामले में एक महत्वपूर्ण मुद्दे पर विचार किया जाना था, वह यह कि क्या आरोपों से ऐसा संकेत मिल रहा है कि अपीलकर्ता यानी जिस आरोपी के खिलाफ दुष्‍कर्म के आरोप लगाए गए थे, उसने महिला से शादी करने का झूठा वादा किया था। इसी झूठे वादे के जरिए पीड़ि‍ता को यौन संबंध बनाने को लेकर आकर्षित किया गया। इससे संकेत मिलता है कि अपराध आईपीसी की धारा-376 (दुष्‍कर्म) के तहत स्‍थापित नहीं होता है। फ‍िर उच्च न्यायालय ने गलत आधार पर सीआरपीसी की धारा-482 के तहत आवेदन को खारिज किया है।


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