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Supreme Court: बंधुआ मजदूरों को अधिकार देने की मांग पर, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और मानवाधिकार आयोग से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर मानव तस्करी के बाद बंधुआ मजदूरी के लिए मजबूर लोगों को मौलिक अधिकार दिए जाने की मांग की गई है। SC ने इस पर केंद्र सरकार राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और सात राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस भेजकर छह सप्ताह में उनका जवाब मांगा।

By Shashank Shekhar MishraEdited By: Published: Mon, 25 Jul 2022 11:38 PM (IST)Updated: Mon, 25 Jul 2022 11:38 PM (IST)
भारत सरकार द्वारा बंधुआ मजदूरी को दण्‍डनीय अपराध माना गया है।

नई दिल्ली, एजेंसियां। सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर मानव तस्करी के बाद 'बंधुआ मजदूरी' के लिए मजबूर लोगों को मौलिक अधिकार दिए जाने की मांग की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर केंद्र सरकार, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और सात राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस भेजकर छह सप्ताह में उनका जवाब मांगा है। इन राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में दिल्ली, हरियाणा, महाराष्ट्र, राजस्थान, बिहार, उत्तर प्रदेश और चंडीगढ़ शामिल हैं। जस्टिस इंदिरा बनर्जी और वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने सुरेंद्र मांझी की याचिका पर विचार करते हुए नोटिस जारी किया। मांझी को अन्य लोगों के साथ उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में एक ईट भट्ठे पर 'बंधुआ मजदूर' के रूप में काम करने को मजबूर किया गया। वकील सृष्टि अग्निहोत्री के जरिये दायर याचिका में मांझी ने कहा, मुझे और मेरे जैसे अन्य मजदूरों को 28 फरवरी, 2019 को शाहजहांपुर के एक ईट भट्ठे से छुड़ाया गया। बिहार के गया जिले में मेरे गांव का एक ठेकेदार तस्करी कर हमें वहां ले गया था। वहां पर मुझे और अन्य मजदूरों को काम के बदले न्यूनतम मजदूरी का भुगतान नहीं किया जाता था। आने-जाने और रोजगार के अधिकार में भी बहुत ज्यादा कटौती कर दी गई थी।

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बंधुआ मजदूरी प्रणाली (उन्मूलन) अधिनियम 1976

बंधुआ मजदूरी को कानून द्वारा दण्‍डनीय संज्ञेय अपराध माना गया है। यह कानून श्रम मंत्रालय और संबंधित राज्‍य सरकारों द्वारा प्रशासित और कार्यान्वित किया जा रहा है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 23 के अनुसार, मनुष्यों के अवैध व्यापार तथा बेगार' एवं जबरन मजदूरी के अन्य स्वरूपों को पूर्णतया प्रतिबंधित किया गया है। इस संवैधानिक प्रावधान के आधार पर, भारत सरकार ने बंधुआ मजदूर प्रणाली अधिनियम, 1976 पारित किया था।

बता दें बंधुआ मजदूर उन मजदूरों को कहा जाता है, जो किसी साहूकार, जमींदार या किसी प्रभावशाली व्यक्ति से लिए गए ऋण को समय पर नही चुका पाते है। उन्हें उस ऋण के बदले में उस व्यक्ति के लिए के लिए अवैतनिक श्रम का कार्य करना पड़ता है या अपनी सेवाएं प्रदान करनी पड़ती है। भारत सरकार द्वारा बंधुआ मजदूरी को दण्‍डनीय अपराध माना गया है।


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