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Farm Laws Update: कृषि कानून लागू करने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट का सरकार को नोटिस, जानें- पूरा मामला

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ की दो मैदा मिलों ने कृषि कानूनों के समर्थन में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। याचिका में मांग की गई है कि केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया जाए कि वे तीनों नये कृषि कानूनों को लागू करें।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Tue, 09 Feb 2021 07:44 PM (IST)Updated: Tue, 09 Feb 2021 07:44 PM (IST)
मैदा मिलों की याचिका को अन्य याचिकाओं के साथ किया संलग्न (फाइल फोटो)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने तीनों कृषि कानून लागू करने की मैदा मिलों की मांग पर केंद्र व उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है। इसके साथ ही कोर्ट ने कानून लागू करने की मांग वाली इन याचिकाओं को कृषि कानून के मुद्दे पर लंबित अन्य याचिकाओं के साथ सुनवाई के लिए संलग्न करने का आदेश दिया है। उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ की दो मैदा मिलों रामवे फूड्स लिमिटेड और आरसीएस रोलर फ्लोर मिल्स लिमिटेड ने कृषि कानूनों के समर्थन में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। याचिका में मांग की गई है कि केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया जाए कि वे तीनों नये कृषि कानूनों को लागू करें।

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कुल उत्पादन का 30 फीसद गेहूं उपयोग करती हैं रोलर फ्लोर मिलें 

मंगलवार को प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने ये नोटिस जारी किये। इससे पहले वकील डीके गर्ग ने कानून का समर्थन करते हुए कहा कि रोलर फ्लोर मिल्स गेहूं की बड़ी स्टेक होल्डर हैं। कुल उत्पादन का 30 फीसद गेहूं रोलर फ्लोर मिलें उपयोग करती हैं। उनकी मांग है कि तीनों नये कृषि कानून लागू किये जाएं।

कोर्ट द्वारा गठित कमेटी में प्रतिनिधि की मांग

याचिका में कहा गया है कि देश में करीब 2000 रोलर फ्लोर मिल्स हैं जो बड़े पैमाने पर आटा, मैदा, सूजी और ब्रान का उत्पादन करती हैं। ये मिलें गेहूं की बड़ी उपभोक्ता है। यह भी कहा गया है कि वे कृषि उपज के बड़े स्टेक होल्डर है इसलिए कोर्ट द्वारा गठित कमेटी में उनके प्रतिनिधि भी होने चाहिए। ताकि कानूनों का समर्थन करने वाले उन लोगों की मुश्किलों और शिकायतों पर विचार हो। याचिका में मौजूदा व्यवस्था की खामियां गिनाते हुए कहा गया है कि ज्यादातर राज्यों में किसान और व्यापारियों को मजबूरन 150 से 200 रुपये प्रति क्विंटल तक गैरजरूरी खर्च करना पड़ता है।

कानून किसानों और याचिकाकर्ताओं दोनों के हित में 

नया कानून लागू होने के बाद गेहूं की खरीद मंडी से बाहर भी हो सकती है। फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री जैसा की याचिकाकर्ता हैं, सीधे किसान से खरीद सकेंगे और यह गैर जरूरी खर्च बचेगा। नये कानूनों में किसानों के हित संरक्षित किये गए हैं। किसानों को अनाज की रकम तीन दिन के भीतर देने का प्राविधान है और ऐसा नहीं होने पर किसान एसडीएम या संबंधित अथारिटी से शिकायत कर सकते हैं। कानून किसानों और याचिकाकर्ताओं दोनों के हित में हैं।


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