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सामाजिक न्याय पीठ में वंचितों को न्याय देने में लगे रहे जस्टिस लोकुर

जस्टिस लोकुर ने वंचित वर्ग के मानवाधिकारों और आम जनता की सुविधाओं को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए ऐसे बहुत से आदेश दिए, जिनके लिए उन्हें देश हमेशा याद रखेगा।

By Arti YadavEdited By: Published: Wed, 02 Jan 2019 11:37 AM (IST)Updated: Wed, 02 Jan 2019 11:37 AM (IST)
सामाजिक न्याय पीठ में वंचितों को न्याय देने में लगे रहे जस्टिस लोकुर
सामाजिक न्याय पीठ में वंचितों को न्याय देने में लगे रहे जस्टिस लोकुर

नई दिल्ली, माला दीक्षित। चार वर्षों तक सामाजिक न्याय पीठ की अगुवाई करते हुए कभी दिल्ली में मची ट्रैफिक अव्यवस्था के लिए सरकार को फटकारना तो, कभी संरक्षण गृहों में बच्चों के यौन उत्पीड़न पर पीड़ा जाहिर कर सरकार और प्रशासन को आड़े हाथ लेने वाले सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश मदन बी. लोकुर गत 30 दिसंबर को सेवानिवृत हो गए हैं। चार वर्षों तक सामाजिक न्याय पीठ की अगुवाई करते हुए जस्टिस लोकुर ने वंचित वर्ग के मानवाधिकारों और आम जनता की सुविधाओं को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए ऐसे बहुत से आदेश दिए, जिनके लिए उन्हें देश हमेशा याद रखेगा। उन्हें मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों की प्रेस कान्फ्रेंस का हिस्सा होने के लिए भी याद रखा जाएगा।

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जस्टिस लोकुर अपने मानवीय और संवेदनशील स्वभाव के लिए जाने जाते हैं। मुख्य न्यायाधीश ने 2014 में सामाजिक मुद्दों पर सुनवाई के लिए अलग से सामाजिक न्याय पीठ का गठन किया था। जस्टिस लोकुर उस पीठ की अध्यक्षता करते थे और लगातार चार वर्ष यह पीठ उन्हीं की अध्यक्षता में वंचित वर्ग और आम जनता से जुड़े मुद्दों पर आदेश देती रही। ताज महल के संरक्षण के लिए पुख्ता योजना बनाने का आदेश भी जस्टिस लोकुर की पीठ ने ही दिया था।

उन्होंने मजदूरों के कल्याण के लिए बिल्डरों से एकत्र किये जाने वाले शुल्क के खर्च प्रबंधन पर, सर्दी की रातों में ठिठुरते लोगों के लिए रैन बसेरे बनवाने से लेकर उनमें मूलभूत सुविधाएं देने तक केस की निगरानी की। मथुरा वृंदावन के साथ ही देश भर में परित्यक्ता और विधवा महिलाओं के कल्याण और आसरे के इंतजाम के आदेश दिये। दिल्ली में भूजल के गिरते स्तर पर चिंता जताई और कबाड़ में तब्दील हो चुके थाने में लगे जब्त वाहनों के ढेर के बारे में नीति तैयार करने का आदेश देना भी शामिल है।

जस्टिस लोकुर को हाल मे मुजफ्फरपुर बालिका गृह यौन उत्पीडन कांड में दिये गए आदेशों और देश भर के संरक्षण गृहों की दयनीय स्थिति के लिए केन्द्र और राज्य सरकारों को आड़े हाथ लिये जाने के लिए भी याद किया जाएगा। ऐसा नहीं है कि कड़े आदेश देने के लिए जस्टिस लोकुर की पीठ को विरोध का सामना नहीं करना पड़ा। मणिपुर इनकाउंटर केस में फर्जी इनकाउंटरों के दोषी अधिकारियों पर मामला चलाए जाने के आदेश के खिलाफ कोर्ट में अर्जी दाखिल कर उनसे मामले की सुनवाई से हटने का अनुरोध किया गया था। हालांकि कोर्ट ने अर्जी खारिज कर दी थी। मामलों की सुनवाई के दौरान व्यवस्था के प्रति आक्रोश जताने वाले कटाक्ष और तीखी टिप्पणियों के लिए भी जस्टिस लोकुर हमेशा याद रहेंगे।


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