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जलगांव हाउसिंग घोटाले में महाराष्ट्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस, बांबे HC के फैसले को पलटा

बांबे हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी किया। हाई कोर्ट ने इस मामले में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता गुलाबराव देवकर की सजा के निलंबित करने का आदेश दिया है। यह घोटाला 1997 में हुआ था।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Wed, 30 Sep 2020 09:13 AM (IST)Updated: Wed, 30 Sep 2020 09:13 AM (IST)
जलगांव हाउसिंग घोटाले में महाराष्ट्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस, बांबे HC के फैसले को पलटा
जलगांव हाउसिंग घोटाले में बांबे हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर हुई थी याचिका।

नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को जलगांव हाउसिंग घोटाले में बांबे हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी किया। हाई कोर्ट ने इस मामले में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता गुलाबराव देवकर की सजा के निलंबित करने का आदेश दिया है। यह घोटाला 1997 में हुआ था। धुले की एक विशेष अदालत ने पिछले साल 31 अगस्त को देवकर और अन्य 50 आरोपियों को पांच से सात साल कैद की सजा सुनाई थी। देवकर को पांच साल कैद की सजा हुई थी।वह महाराष्ट्र सरकार में राज्यमंत्री भी रह चुके हैं।

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जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस अजय रस्तोगी की पीठ ने पवन नारायण ठाकुर की याचिका पर देवकर के साथ ही राज्य सरकार को नोटिस जारी किया। दोनों से 26 अक्टूबर तक जवाब देने को कहा गया है। साथ ही इस मामले में विशेष अनुमति याचिका दायर करने की अनुमति भी दे दी है।

देवकर और अन्य को 1997 में जलगांव में कम कीमत वाले 11,000 मकानों के निर्माण से संबंधित आवास घोटाले में कथित संलिप्तता के लिये दोषी ठहराया गया था। यह आरोप लगाया गया है कि जलगांव नगर निगम ने कम कीमत वाले मकानों के निर्माण के लिये निविदा जारी की लेकिन यह परियोजना कभी शुरू नहीं हुयी और सारी रकम हड़प ली गयी।

याचिका में आरोप लगाया गया कि इस परियोजना में भारी गबन हुआ जिससे तत्कालीन नगर परिषद द्वारा शुरू की गयी आवास योजना में नगर निगम को 163 करोड़ रूपए का नुकसान हुआ। याचिका के अनुसार, इस नेता पर 5,81,000 रूपए का जुर्माना भी लगाया गया है। इस नेता को पहले बंबई उच्च न्यायालय की औरंगाबाद पीठ ने सजा निलंबित करके राहत दी लेकिन बाद में 27 जनवरी को उच्च न्यायालय ने देवकर के अंतरिम आवेदन पर उनकी दोषसिद्धि निलंबित कर दी। इस अपील में उच्च न्यायालय के आदेश पर अंतरिम रोक लगाने का भी अनुरोध किया गया है।


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