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वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध मानने के मामले पर सुनवाई के लिए SC तैयार, केंद्र से 15 फरवरी तक मांगा जवाब

Supreme Court Marital Assault Issue वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध के दायरे में लाया जाए या नहीं इस सवाल पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से 15 फरवरी तक जवाब दाखिल करने को कहा है। कोर्ट 14 मार्च से इस मामले पर अंतिम सुनवाई करेगा।

By Jagran NewsEdited By: Devshanker ChovdharyPublished: Mon, 16 Jan 2023 12:10 PM (IST)Updated: Mon, 16 Jan 2023 12:40 PM (IST)
वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध मानने के मामले पर सुनवाई के लिए SC तैयार, केंद्र से 15 फरवरी तक मांगा जवाब
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नई दिल्‍ली, एएनआई। Supreme Court Notice to Centre: वैवाहिक दुष्कर्म के अपराधीकरण की मांग वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गया है। शीर्ष अदालत ने सोमवार को केंद्र सरकार से इस मामले में 15 फरवरी तक जवाब मांगा। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला की पीठ ने केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से 15 फरवरी 2023 को या उससे पहले मामले में जवाबी हलफनामा दायर करने को कहा।

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मामले का बड़ा असर होगा

सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस मामले का बड़ा असर होगा। पीठ ने मेहता से कहा, "क्या आप कोई प्रतिवाद दायर करना चाहते हैं, यदि कोई हो तो।" शीर्ष अदालत ने विभिन्न उच्च न्यायालयों को निर्णय लेने देने के बजाय मामले को स्वयं लेने का फैसला किया।

मार्च में होगी सुनवाई

मामले को मार्च में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा और पीठ ने सभी पक्षों को 3 मार्च तक अपनी लिखित दलीलें दाखिल करने का निर्देश दिया। मेहता ने पीठ को सूचित किया कि सरकार ने इस मामले पर राज्य सरकारों के विचार मांगे थे। पिछले साल मई में दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के बाद वैवाहिक दुष्कर्म के अपराधीकरण पर "विभाजित विचार" व्यक्त किए गए थे। सर्वोच्च न्यायालय में भारतीय दंड संहिता की धारा 375 के अपवाद पर चुनौती दी गई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने HC के फैसलों पर लगाई थी रोक

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल जुलाई में कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगा दी थी। हाई कोर्ट ने एक पति को अपनी पत्नी से कथित रूप से दुष्कर्म करने के मुकदमे को चलाने की अनुमति दी थी। मई में शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ पति की याचिका पर नोटिस जारी किया था।

आईपीसी की धारा 375 पर भी बंटी है राय

पिछले साल 11 मई को उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति राजीव शकधर और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की खंडपीठ ने आईपीसी की धारा 375 के अपवाद पर फैसले में अलग-अलग राय व्यक्त की थी। ये धारा एक व्यक्ति को अपनी पत्नी के साथ जबरदस्ती यौन संबंध बनाने पर दुष्कर्म के अपराध से छूट देती है।

अनुच्छेद 14 का उल्लंघन

न्यायमूर्ति राजीव शकधर ने ये कहते हुए विवादास्पद कानून को खारिज करने का समर्थन किया कि पति को वैवाहिक दुष्कर्म के अपराध से छूट देना असंवैधानिक है। वहीं, न्यायमूर्ति हरि शंकर सहमत नहीं थे। न्यायमूर्ति राजीव ने कहा कि पत्नी की सहमति के बिना पति का उसके साथ संबंध बनाना अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है और इसलिए इसे रद कर दिया गया है।

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